एसएमसी सदस्य बन घर से निकल रहीं महिलाएं, समझ रहीं जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में नई विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन होना है।

Update: 2018-08-30 11:25 GMT

महोबा  उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में नई विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन होना है। ऐसे में समिति के सहयोग से बीते वर्षों में विद्यालयों में आए बदलाव और आगे की रणनीति जानने के लिए हमने महोबा के बेसिक शिक्षा अधिकारी महेश प्रताप सिंह से बात की।

सवाल: जल्द ही नई एसएमसी का गठन होना है, तो बेहतर परिणामों के लिए इस बार आप की क्या योजनाएं और रणनीति होंगी?

जवाब: इस बार भी प्राथमिक विद्यालय प्रबंधन समिति 15 लोग जिसमें 11 अभिभावक और चार सरकारी रूप से कार्यरत सदस्य होंगे। हम चाहेंगे कि इस बार जो भी अभिभावक हम चुनें वो प्रशिक्षित हों ताकि पूरे मन से विद्यालय की गुणवक्ता के लिए काम करें। हम कोशिश करेंगे की चुने गए सदस्यों को विद्यालय की अधिक से अधिक गतिविधियों में शामिल करें जिससे वो खुद को भी विद्यालय का भाग मानें।

सवाल: मिड-डे-मील की जांच के लिए माता-समूह की सक्रियता कैसी रही?

जवाब: कुछ महिलाओं ने इसी बहाने घर से निकलना शुरू किया है जो सकारात्मक बदलाव है। पर अभी बहुत काम बाकी है। हमें आने वाले साल में इन महिलाओं की संख्या बढ़ानी है। इससे बच्चों के भोजन में सुधार तो आएगा ही और साथ में ही महिलाएं भी विद्यालय आकर व्यवस्था से रूबरू होंगी।

सवाल- 15 में से 11 प्रबंधन समिति सदस्य विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावक होते हैं। इस कारण क्या अभिभावकों की भागीदारी और जागरूकता बढ़ी है?

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जवाब: जी बिल्कुल, बाल केंद्रीय शिक्षा हासिल करने में अभिभावक और ख़ास तौर से माताएं बहुत अहम भूमिका निभा सकती हैं, अगर वो अपनी ज़िम्मेदारियां समझ लें। हमें उनके नए आयामों से प्रशिक्षण कर भागीदारी को बढ़ाना होगा।

सवाल: आपके जिले के विद्यालयों से प्रबंधन समिति के सहयोग की कैसी प्रतिक्रिया रही?

जवाब: वास्तव में जो एसएमसी का गठन हुआ था उसका मुख्य उद्देश्य ही था अभिभावक और शिक्षक आपस में सम्बन्ध स्थापित करके शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करें। बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा में जो योगदान अभिभावक दे सकते हैं वह शिक्षक से भी बढ़कर होगा। इस वक़्त तो यही कहा जा सकता है कि यदि हम बड़े बदलाव की बात करें तो एसएमसी को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने की ज़रूरत है।

सवाल: क्या सारा भार विद्यालय प्रबंधन समिति पर देना उचित है या प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के भी कुछ मुख्य कर्तव्य निर्धारित होने चाहिए?

जवाब: विद्यालय प्रबंधन समिति या एसएमसी के गठन का मुख्य उद‌्देश्य समुदायों और विद्यालयों का एकजुट होकर, गुणवत्ता के लिए कार्य करना है। प्रधानाध्यापक का जागरूक होना तो सबसे ज़्यादा जरूरी है ताकि वह सभी सदस्यों को उनके कर्तव्यों का ज्ञान करा सकें। शिक्षकों और विद्यार्थियों का पंक्चुअल होना, विद्यालय परिसर का स्वच्छ होना, बच्चों को मिलने वाले मिड-डे-मील और फोलिक एसिड का समय और गुणवत्ता यह सब तो प्रधानध्यापक के ही हाथ में है।

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