आखिर टूट ही गया भैंसी नदी का पुल

Update: 2016-08-02 05:30 GMT
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शाहजहांपुर। जिले की पलिया स्टेट हाइवे पर तहसील पुवायां से लगभग पांच किमी उत्तर दिशा की ओर खुटार मार्ग पर बना भैंसी नदी का पुल आखिरकार टूट ही गया। अच्छा यह हुआ कि कोई गम्भीर घटना नहीं घटी। 

‘‘गांव कनेक्शन‘‘ ने वर्ष-04 के अंक-28 में इस खबर को प्रमुखतः के साथ छापा था जिसका शीर्षक था ‘‘जान जोखिम में डालकर पुल से निकलने को मजबूर लोग‘‘। गाँव कनेक्शन में समाचार छपने के बाद यदि शासन-प्रशासन इसे गम्भीरता से लेता तो शायद स्थिति कुछ और होती और पुल में पडे़ हुए गार्डर शायद न टूटते। भैंसी नदी का पुल टूटने से हजारों लोगों के सामने समस्या खड़ी हो गयी है। इस भैंसी नदी के पुल पर एक विशेष प्रकार के लोहे से बने गार्डरों पर लकड़ी के स्लीपरों को लगाकर उसके ऊपर लोहे की चादरे लगायी जाती हैं जो बेहद खर्चीला और लम्बे समय का काम है और इस बार क्षतिग्रस्त पुल पर लगातार भारी वाहन गुजरते रहने की बजह से लोहे के चार गार्डर भी चटक कर टूट गये हैं। 

पीडब्ल्यूडी के प्रान्तीय खण्ड के जेई निर्मल कुमार ने बताया, "मरम्मत कार्य बराबर होता रहता है। लेकिन जब तक पक्के पुल का निर्माण नहीं कराया जाता तब तक दिक्कतें बराबर बनीं रहेंगी। पुल पर लोहे के गार्डरों पर लकड़ी के स्लीपर लगे हुए हैं। भारी वाहनों के गुजरने से लोहे की रगड़ की वजह से स्लीपर कमजोर होकर टूट जाते हैं और इस बार स्लीपर टूटने के बाद भी भारी वाहनों के लगातार गुजरते रहने से लोहे के चार गार्डर भी चटककर टूट गये हैं। गार्डर बदले बगैर संचालन शुरू नहीं कराया जा सकता। स्लीपर हापुड़ से मंगाने पड़ते हैं और सबसे मुश्किल काम गार्डरों को तैयार कराना होता है क्योंकि गार्डर यह एक विशेष प्रकार के स्टील से बनाये जाते हैं।"

यदि समय रहते 'गांव कनेक्शन' की खबर पर प्रशासन ने ध्यान दे दिया होता, तो शायद गार्डरों को टूटने से बचाया जा सकता था। हल्के वाहनों को गुजारने के लिए सीमेंन्ट के पाइपों को डालकर वैकल्पिक मार्ग तैयार किया गया है परन्तु यह वैकल्पिक मार्ग तभी तक कारगर है जब तक नदी में पानी नहीं आ जाता। नदी में पानी आते ही आवागमन पूरी तरह अवरुद्ध हो जायेगा। सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य बात यह है कि पुल की रिपेरिंग के नाम पर अब तक जितना बजट जारी किया जा चुका है उससे काफी कम बजट में पक्के पुल का निर्माण कराया जा सकता था। परन्तु ऐसा इसलिए नहीं किया जाता है कि समय-समय पर रिपेरिंग के नाम पर अधिकारियों व क्षेत्रीय नेताओं के बीच जारी किये गये बजट में भारी खेल किया जाता है।

जान जोखिम में डालकर इस पुल को पार करतें हैं लोग

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