पांच सौ मुर्गियों से शुरू करें ब्रायलर मुर्गीपालन, हर महीने कमा सकते हैं 10 से 12 हजार रुपए

Update: 2019-01-09 10:53 GMT

प्रयागराज। मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको कम लागत में शुरू करके हर महीने हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं। अगर कोई किसान 500 मुर्गी से इस व्यवसाय को शुरू करता है तो एक महीने में 10 से 12 हजार रुपए की अतिरिक्त आय कमा सकता है।

मुनाफा अधिक होने के कारण भारत में छोटे-बड़े स्तर पर मुर्गीपालन व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जौनपुर जिले के पशु चिकित्सक अधिकारी और पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ. राजू वर्मा 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, ''इस व्यवसाय में पशुपालक को बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह 500 ब्रायलर मुर्गियों से शुरुआत कर सकता है।''



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इस व्यवसाय में फार्म को बनाने की पूरी विधि के बारे में डॉ. वर्मा बताते हैं, ''अगर 500 मुर्गियों से शुरू कर रहे हैं तो उसके लिए 500 स्क्वायर फीट जगह की आवश्यकता होती है। फार्म को बनाने के लिए 28 फीट चौड़ाई और 30 फीट लंबाई रखना होता है। इसके अलावा फार्म के बीच ऊंचाई को कम से कम 10 फीट और साइट की ऊंचाई 8 फीट रखें।''


फार्म को बनाने के बाद उसमें जाली को लगवाएं, जिससे मच्छर मक्खी जैसे कीड़े-मकोड़ों को रोका जा सके। फार्म को पूर्व से पश्चिम की तरफ बनवाना चाहिए। ''फार्म बनवाने के बाद उसमें भूसी या बुरादे का बिछावन बिछाएं। जाड़े और बरसात में भूसी को ही बिछाएं और भूसे या बुरादे की मोटाई ढ़ाई इंच रखनी चाहिए।'' डॉ. राजू ने गाँव कनेक्शन को बताया।

आहार प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया

मुर्गियों से अंडा और मीट उत्पादन की अवस्था तक उनका आहार प्रंबधन सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अगर मुर्गी पालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है, तो इसका सीधा असर इनकी बढ़वार पर पड़ सकता है। शुरू से बिकने तक मुर्गियों का आहार किस तरह का हो, इसके बारे में डॉ. राजू बताते हैं, ''जब चूजा फार्म पर आता है तो पहले उसको 6 घंटे तक गुड़ पानी का घोल पिलाइये। उसके बाद दाना दें।"


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तीन तरह का दिया जाता है आहार

मुर्गियों को तीन तरह आहार दिया जाता है, जिससे उनके वजन मे अच्छी तरह से बढ़वार होती है। ये आहार प्री-स्टार्टर, स्टार्टर और फिनिशर आहार हैं। डॉ. वर्मा बताते हैं, ''सबसे पहले प्री-स्टार्टर देना चाहिए, उसमें 24 प्रतिशत प्रोटीन होती है जो कि 10 दिन दिया जाता है। उसके बाद स्टार्टर दिया है उसमें प्रोटीन की मात्रा 22 प्रतिशत होती है, जब 17-18 दिन में 1 किलो वजन आ जाता है, तब तक देते हैं। उसके बाद फिनिशर आहार दिया जाता है। उसमें प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत होती है।''

आठ-आठ घंटे पर देते रहें दाना

कई बार किसान मुर्गियों को सुबह और शाम दाना देते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें। उनको 8-8 घंटे पर दाना देते रहना चाहिए और पानी भी तीन बार दें, जिससे उनको ताजा पानी मिले सके। चूजों को खरीदने के बारे में डॉ. राजू बताते हैं, ''अच्छी हैचरी और अच्छी गुणवत्ता का चूजा खरीदना चाहिए। भारत में आजकल कई तरह की बर्ड आ गई है जैसे हब बर्ड, रास बर्ड। यह अपनी भारत की जलवायु के अनुकूल नहीं है इसलिए काप बर्ड के चूजे को ही मुर्गीपालक को खरीदना चाहिए।''

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सिर्फ 22 दिन में हो जाता है एक किलो वज़न

अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ वर्मा बताते हैं, ''पहले 40-45 दिनों में मुर्गियों का वजन एक किलो तैयार होता था लेकिन धीरे-धीरे वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया और अब कई 22 दिन में मुर्गिया एक किलो की तैयार हो जाती है। एक किलो ब्रायलर मुर्गी तैयार करने के लिए उसको डेढ़ किलो दाना खिलाना पड़ता है।''

मुर्गियों का समय से हो टीकाकरण

मुर्गीपालन व्यवसाय से मुनाफा कमाने के लिए बहुत जरूरी है कि मुर्गियों का समय से टीकाकरण हो। टीकाकरण कराने से मुर्गियों में मृत्युदर को काफी हद तक रोका जा सकता है। टीकाकरण सारिणी के बारे में डॉ. राजू बताते हैं, ''ब्रायलर में तीन तरह की टीकाकरण लगाया जाता है। पांच से सात दिन में एफ 1 का टीका लगवाएं। उसके बाद 12-14 दिन में गंबोरो और 21-22 दिन में लसोटा का टीका लगवाना चाहिए। कभी-कभी अच्छे रेट न मिलने के कारण दो से तीन किलो तक होने तक मुर्गीपालक मुर्गियों को रोक लेता है ऐसे में उसको 10 दिन पर लसोटा टीका लगवाना चाहिए।''

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