बागी विधायकों के अयोग्यता मामले में उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा
नैनीताल (भाषा)। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किये जाने के उत्तराखंड राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने आज याचिका पर दो घंटे से अधिक समय तक सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस पर निर्णय नौ मई को सवा दस बजे सुनाया जायेगा।
नौ बागी विधायकों की सदस्यता के मामले पर उच्च न्यायालय का फैसले का सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य विधानसभा में 10 मई को होने वाले शक्ति परीक्षण पर सीधा असर होगा।
अगर ये विधायक सदन की सदस्यता से अयोग्य ही ठहराये जाते हैं तो वे 10 मई को विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण में हिस्सा नहीं ले पायेंगे और 62 की प्रभावी क्षमता वाले सदन में बहुमत का जादुई आंकडा घटकर 31 पर सिमट जायेगा।
हांलांकि, उनकी विधानसभा सदस्यता फिर बहाल कर दी जाती है तो शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा की क्षमता 71 (मनोनीत विधायक को मिलाकर) ही मानी जायेगी और उसमें जीतने वाले पक्ष के पास 36 का आंकडा होना जरुरी हो जायेगा।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष अपना निर्णायक मत केवल उसी स्थिति में दे सकते हैं जब दोनों पक्षों के बराबर मत हों।