नवरात्रि के व्रत में ध्यान से करें घी तेल का सेवन

नवरात्रि में सरसों, सोयाबीन या रिफाइंड तेल वर्जित माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है ऐसे में बाज़ार का मिलावटी तेल खाने से बेहतर है व्रत में घी, घर का बना मक्खन या मूँगफली तेल का सही मात्रा में इस्तेमाल किया जाए इससे किसी तरह की बीमारी से भी बच सकते हैं।

Update: 2023-10-16 08:46 GMT

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है। भक्त कई तरह से पूजा-अर्चना कर माँ को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। नवरात्रि के पर्व पर कई लोग व्रत भी रखते हैं। ज़्यादातर लोग नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखते हैं। खासतौर पर भोजन का विशेष ध्यान व्रत के दौरान ही रखा जाता है। कई ऐसे भी हैं, जो व्रत रख तो लेते हैं, लेकिन उन्हें व्रत में भोजन को सही तरह से खाने की जानकारी नहीं होती, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ सकती है।

व्रत के दौरान खाया जाने वाला भोजन सादा और आसानी से पचने वाला होना चाह‍िए। इस दौरान कई चीजों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक है रिफाइंड ऑयल।

कई लोग व्रत में सरसों का तेल या रिफाइंड तेल में पका हुआ खाना खाते हैं, लेकिन व्रत में सरसों, सोयाबीन या रिफाइंड तेल वर्जित माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है बेहतर है रिफाइंड ऑयल की बजाय घर में तैयार देसी घी या सफ़ेद मक्खन का इस्तेमाल हो। आप देसी घी को सब्जी बनाने या पराठा बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। व्रत में घी, मक्खन, नारियल तेल या तिल जैसा हेल्दी तेल लें। इससे आपका एनर्जी लेवल बना रहता है। व्रत में खाने के लिए मूँगफली का तेल, जैतून का तेल या बादाम का तेल भी सही होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये तेल फलाहार की श्रेणी में हैं।


एक्सपर्ट का कहना है कि नवरात्रि के व्रत में रिफाइंड तेल के सेवन से बचना चाह‍िए। रिफाइंड तेल को अलग-अलग बीजों से निकाला जाता है, जिनमें सनफ्लावर और सोयाबीन भी शामिल हैं। रिफाइंड तेल का स्मोकिंग प्‍वॉइंट ज़्यादा होता है, इसलिए इसे ज़्यादा गर्म तापमान पर इस्तेमाल किया जाता है। रिफाइंड ऑयल हेल्दी फैट की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए ये सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है।

व्रत में ऐसा खाना खाया जाता है, जिससे शरीर में लंबे समय तक ऊर्जा बनी रहे, लेकिन रिफाइंड तेल का सेवन करने से थकान और पाचन की समस्या हो सकती है, इसलिए इसके प्रयोग से बचना चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि व्रत के दौरान हम कई ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, ज‍िन्हें तेल में तला जाता है। उदाहरण के लिए कुट्टू की पूड़ी, साबूदाना वड़ा, आलू के चिप्स आदि। इन चीजों को रिफाइंड तेल में तलकर खाने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ब्‍लोटिंग और डायरिया के लक्षण भी नज़र आ सकते हैं। हार्ट के लिए तो रिफाइंड तेल वैसे भी फायदेमंद नहीं माना जाता।

अगर व्रत में तलने या सब्जी पकाने के लिए तेल का इस्तेमाल करना ही है तो उसके नुकसान से बचने के लिए मात्रा तय कर लें। दिनभर में आप घी या मूँगफली का तेल और नारियल तेल की दो से तीन टेबलस्पून ही इस्तेमाल करें। इससे ज़्यादा तेल का सेवन करने से शरीर में कैलोरी बढ़ जाती हैं।

इसके अलावा आप पूड़ी खाने की बजाय कम तेल में पका पराठा खा सकते हैं। ये सेहत के लिए कम नुकसानदायक होगा। ज़्यादा तेल का सेवन हाज़मा ख़राब कर सकता है। भूख के कारण जिन लोगों को कब्ज़ की शिकायत होती है, उन्हें रिफाइंड तेल से दूरी बरतनी चाहिए। नवरात्रि उपवास में रिफाइंड तेल या सोयाबीन ऑयल के अलावा सरसों के तेल का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है।

नवरात्रि के व्रत में देसी घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि घी का इस्तेमाल किसी चीज को तलने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसका स्मोकिंग प्‍वॉइंट कम होता है। आप इसे सब्जी, दाल या रोटी अथवा पराठे पर डाल सकते हैं।

अगर आपको कोई बीमारी है, किसी तरह की दवा चल रही है या पेट संबंधित कोई समस्या है तो एक बार डॉक्टर से सलाह लेना ठीक रहेगा। व्रत में तेल के इस्तेमाल में सावधानी बरतना बेहतर विकल्प है, जिसका आपको पूरी तरह ध्यान रखना चाहिए।

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