कविता - कुछ औरतें पहनती हैं चटख रंग और नहीं भूलतीं माथे की बिंदी माँग का सिंदूर...

Update: 2019-01-22 07:00 GMT
पूजा व्रत गुप्ता की कविता

गाँव कनेक्शन के कलम दवात पेज में पढ़िए Pooja Vrat Gupta की कविता 'कुछ औरतें घुटती रहती हैं'...

कुछ औरतें

घुटती रहती हैं

उन दीवारों के इर्द-गिर्द

जहाँ खिड़कियाँ तो हैं

पर रोशनी का एक कतरा भी नहीं ...

कुछ औरतें

पकाती रहती हैं

गोल-गोल रोटियाँ के साथ रंग -बिरंगे ख़्वाब

ये जानकर भी कि इधर रोटी आँच पर जाएगी

और ख़्वाब पानी में ...

कुछ औरतें रगड़ती रहती हैं

कपड़ों का हर एक छोर जोर - जोर से

ये सोचकर कि निकाल देंगी

अपनी टीस, कुंठा और सारा क्रोध

पर अचानक कपड़ों से गिरती बूँदों की तरह

किसी कोने में टिप-टिप कर

भिगो आती हैं अपने ही गाल ...

कुछ औरतें पहनती हैं चटख रंग

और नहीं भूलती

माथे की बिंदी

माँग का सिंदूर

हाथों की चूड़ियां

और

पैर के बिछुए

पर भूल जाती हैं

अपनी ही खुशियाँ

अपनी ही खूबियाँ

अपनी ही पहचान !!

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