तरक्की की कहानी: पिता की मौत के बाद टूट गया था घर, टाटा ऐस ने बदल दी ज़िंदगी 

Update: 2017-12-10 12:13 GMT
खुद ही गाड़ी से उतारते हैं माल

कभी साइकिल से मूंगफली बेचने वाले संदीप सिंह के पिता की मौत के बाद ऐसा समय आया कि घर कैसे चलेगा, ऐसे वक्त में उनकी ड्राइविंग और टाटा ऐस दोनो उनके लिए मददगार साबित हुए, आज वो खुद को शान से टाटा ऐस ड्राइवर कहते हैं।

पुराने लखनऊ की गलियों में जहां बड़ी गाड़ियों के ड्राइवर जाने को सोच भी नहीं पाते हैं, वहीं पर डालीगंज के संदीप सिंह (25 वर्ष) अपनी टाटा ऐस से दुकान से दुकान मूंगफली पहुंचाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि संदीप शुरू से ऐसे ही मुनाफा कमा रहे थे, पिता की मौत और घर में कई बार चोरी होने के बाद स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि घर चलाना मुश्किल हो गया था। ऐसे में उनकी ड्राइविंग उनके काम आयी।

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टाटा ऐस पर मूंगफली लादकर पर पुराने लखनऊ की सड़कों पर गुजरते हुए संदीप कहते हैं, "पहले ऐसा था कि सोचकर खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब इतनी कमाई हो जाती है कि सोचना नहीं पड़ता। सर्दियों में मूंगफली से अच्छी कमाई हो जाती है, क्योंकि इसके लिए ज्यादा दूर नहीं जाना होता है और कमाई भी दोगुनी हो जाती है। पूरे दिन में इतना काम मिल जाता है कि एक दिन भी कम पड़ जाता है, देर रात तक इसे दुकान-दुकान पहुंचाते हैं।"

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संदीप की सुबह गाड़ी साफ करने और धुलने से होती है, उसके बाद जहां पर मूंगफली लादनी होती है वहां गाड़ी लादते हैं, वहां से लादकर जहां माल सप्लाई करनी होती है करते हैं, उसके बाद जहां नमकीन फैक्ट्री या कहीं और भी जाना होता है। ऐसे ही दिन निकल जाता है।

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आज संदीप ने टाटा ऐस से ही अपने लिए बाइक खरीद ली है और घर भी बना लिया है। "घर में दो मां, छोटा भाई, और पत्नी हैं, दो बहनों की शादी भी कर दी है। ड्राइवर को लोग गलत नजर से देखते हैं, जबकि ड्राइवर की वजह से ही तो मालिक भी आगे बढ़ पाते हैं। अगर ड्राइवर ही न तो गाड़ी कैसे चलेगी, "संदीप ने बताया।

संदीप दूसरों को भी टाटा ऐस खरीदने की सलाह देते हैं, वो कहते हैं, "आजकल लोगों को टाटा ऐस ही ज्यादा पसंद आ रही है, मेरे ही कई जानने वालों ने टाटा ऐस खरीदा है, देखने में छोटी लगती है, लेकिन सामान ज्यादा लाद सकते हैं। ऐसे ही नहीं लोग इसे छोटा हाथी नहीं कहते हैं। कहते हैं न चीप एंड बेस्ट यही इसका भी है, ज्यादा महंगी भी नहीं और काम बेहतर देती है। देखने में अच्छी और काम भी बढ़िया, मैंने तो अपने एक दोस्त को भी यही दिलायी है, वो दूसरी गाड़ी ले रहा था, मैंने कहा यही लो सस्ती भी और मजबूत भी है।"

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