लखनऊ। युवा अपने हाथ में पानी का गिलास लेकर मतदाताओं का स्वागत करते नज़र नहीं आएंगे। राज्य के करीब सवा लाख पोलिंग स्टेशनों में इस बार कोई भी मॉडल बूथ नहीं होगा, जबकि सभी जगहों को न्यूनतम सुविधाओं से सुसज्जित किये जाने की योजना केंद्रीय चुनाव आयोग की है।
मॉडल पोलिंग स्टेशनों को लेकर कोई बहुत अच्छे परिणाम आयोग के सामने नहीं आए। इसके साथ ही इन पर खर्च का बोझ भी बहुत अधिक होता है। ऐसे में इसलिए वोटरों को मॉडल पोलिंग बूथ के लुभाने का विचार आयोग ने फिलहाल त्याग दिया है।
क्या होती थी मॉडल मतदान केंद्र की खासियत
चुनाव से पहले केंद्र का रंग रोगन किया जाता था। परिसर में आयोग का चिन्ह और राज्य का लोगो होता था। मतदाताओं के लिए दिशा निर्देश नीले व सफेद रंग से किये जाते थे। लाइट की पर्याप्त व्यवस्था की जाती थी। मतदान पार्टी के लिए बेहतरीन फर्नीचर का इंतजाम। मतदाताओं के लिए पीने के पानी की सुविधा की जाती थी। इसके अलावा पेमेंट के आधार पर कोल्ड्रड्रिंक और स्नैक्स भी मिलते थे। वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांगों और दृष्टिबाधितों के लिए खास प्रबंध किये जाते थे। मतदाताओं को खड़ा न रहना पड़े इसके लिए कुर्सियां भी होती थीं।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश में थे 200 मॉडल पोलिंग सेंटर
लोकसभा चुनाव 2014 में आयोग ने प्रदेश मॉडल पोलिंग सेंटर का कंसेप्ट शुरू किया था। जिसके जरिये मतदाताओं को 200 ऐसे केंद्रों पर बुलाने के लिए विशेष इंतजाम किये गये थे। जिसमें खास इंतजाम थे, मगर अब ये इंतजाम देखने को नहीं मिलेंगे।
मतदान केंद्रों के विद्युतीकरण के लिए 60 करोड़
केंद्रीय चुनाव आयोग की सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण पोलिंग स्टेशनों में बिजली का बेहतर इंतजाम न होना है। जिसको लेकर आयोग के सदस्यों ने पिछले दिनों मुख्य सचिव से बात की थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने मतदान केंद्रों के विद्युतीकरण के लिए 60 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने का एलान किया है।
इस बार हम बेहतर इंतजाम वाले मतदान केंद्र बनाएंगे। जिसमें बुजुर्गों, दिव्यांगों और महिलाओं के लिए अच्छे इंतजाम होंगे। मगर अलग से कोई मॉडल पोलिंग स्टेशन नहीं बनाए जाएंगे।नसीम जैदी, केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त