आरटीआई के दायरे में नहीं आता अटार्नी जनरल का पद: उच्च न्यायालय

Update: 2017-02-03 19:46 GMT
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि अटार्नी जनरल (एजी) का पद सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में नहीं आता है क्योंकि यह जनसेवक का पद नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ का यह फैसला केंद्र सरकार की एक अपील पर आया है। केंद्र ने अटार्नी जनरल को जनसेवक का पद बताने एवं उसे आरटीआई के दायरे में आने के एकल न्यायाधीश के फैसले के विरुद्ध अपील की थी।

पीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा, “इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि एजीआई का मुख्य कार्य कानूनी मामलों पर सलाह देना और जैसा कि बताया गया है, अदालत में पेश होना यानी वकील या वरिष्ठ वकील की भांति काम करना है।”

पीठ ने कहा, “वास्तव में, भारत सरकार के वकील की भांति काम करने के नाते उसका भारत सरकार के साथ जिम्मेदारीपूर्ण संबंध होता है और वह अपनी राय या उन्हें भेजी गई कोई भी सामग्री सार्वजनिक नहीं कर सकते।” न्यायालय ने कहा, “हम एकल न्यायाधीश के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हो पा रहे हैं कि एजीआई का पद सार्वजनिक प्राधिकार के दायरे में आता है।”

कानून मंत्रालय ने एकल न्यायाधीश के 10 मार्च, 2015 के आदेश के खिलाफ अपील की है। एकल न्यायाधीश ने इस आधार पर अटार्नी जनरल के पद को आरटीआई कानून के दायरे में बताया था कि वह सार्वजनिक कार्य करते हैं और उनकी नियुक्ति संविधान के अनुरुप होती है।

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