बुंदेलखंड के लोगों को मोदी से है बड़ी उम्मीदें

Update: 2017-03-14 15:49 GMT
बुंदेलखंड में रोजगार व कर्ज के अभाव में आत्महत्या, पलायन की भरमार रही।

ललितपुर। बुंदेलखंड में अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, सूखा, अकाल के भयावह चेहरे ने हालात बदल दिये, रोजगार व कर्ज के अभाव में आत्महत्या, पलायन की भरमार रही। सरकारों ने यहाँ की परिस्थितीयों पर जबरदस्त राजनीति की, लेकिन मनरेगा को मजबूत नहीं किया, परिणाम स्वरूप लाखो की संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हो गए। मनरेगा के अंर्तगत तीन सालों के निचले स्तर पर मनरेगा पहुँच गयी! मजदूरों को न पैसा मिला, न ही काम जिससे मजदूरों का विश्वास मनरेगा से उठ गया।

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हमारे गाँव के सैकडों परिवार परदेश से घर वापिस आये है, इस सरकार ने मनरेगा में काम नही दिया, काम किया तो पैसे नही मिले। विश्वास पर मोदी के नाम पर वोट दिये है कि मनरेगा में मजदूरी मिलने लगेगी, जिससे हमारे क्षेत्र के मजदूरों के परदेश रोजी रोटी के लिए ना जाना पडे। 8-9 माह से काम बंद पडा है, ना पुराना पैसा मिला, ना ही मनरेगा में काम। यह कहना है ललितपुर जनपद से पूर्व दक्षिण मडावरा तहसील के धौरीसागर गाँव के हरजुआ (48 वर्ष) ने बताया।

महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की बेवसाईट के अनुसार "ललितपुर जनपद मे वित्तीय वर्ष 2014-15 में 1.67 लाख जॉब कार्ड में से महज 3,169 परिवारों को 100 दिन का काम मिला। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जॉब कार्ड में इजाफा होकर 1.77 लाख जॉब कार्डो की संख्या बढी, जिसके सापेक्ष 7,741 परिवारों को 100 दिन का काम मिल पाया। वित्तीय वर्ष 2016-17 जॉब कार्डो की संख्या में गिरावट के कारण जनपद में 1.54 लाख परिवारों के पास जॉब कार्ड है, जिसके सापेक्ष 100 दिन पूरा करने वालों परिवारों में महज 7,51 परिवार ही ये लक्ष्य पूरा कर पाये।

जिला मुख्यालय से 52 किमी बार ब्लाँक की ग्राम पंचायत सुनवाहा के रहने वाले छिंगा सहरिया (45 वर्ष) बताते हैं "हम पति पत्नि ने मई - जून में मनरेगा अंर्तगत बंदी निर्माण पर खंती खोदी थी। तब से आज तक पैसा नही मिला। अब मोदी सरकार से उम्मीदें है कि मनरेगा में काम देगी, जिससे बुंदेलखंड के हालात सुधर जायेंगे और पलायन भी रूकेगा। हम मजदूरों को गाँव में काम मिलने लगेगा।

पलायन को रोकने व गाँव में स्थाई रोजगार देने के लिए महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना कारगार थी, सरकार की लापरवाही के कारण नियम कागजों तक सीमित रह गये, तीन सालों से मनरेगा के हालात खराब है। महरौनी ग्राम पंचायत अमौरा में रहने वाले गंगाराम अहिरवार (42 वर्ष) बताते है कि "प्रत्येक परिवार को 100 दिन काम मिलने का प्रावधान है, लेकिन ऊपर (सरकार) से काम नही आता। मोदी सरकार को क्षेत्र भर ने वोट दिऐ, अब कम से कम हम मजदूरों के बारे में मोदी सोचेंगे, जिससे हमलोगो को काम मिलेगा।

छत्रपाल सिंह ग्राम प्रधान सुनवाहा बताते है कि "इस सरकार ने मनरेगा को पैसा नहीं दिया, पंचायतें काम नहीं दिला पाती थी, जब काम मिला तो समय से पैसा नहीं आया, जिससे हमारी किरकिरी गाँव में होती रही। मोदी सरकार बनने से पंचायतों को जरूर पैसा आयेगा। जिससे गाँव का पलायन रूक सकेगा।

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