2040 तक खत्म हो जाएगा खाड़ी देशों में पानी, भारत में भी सूखेगा हलक: रिसर्च

Update: 2016-10-22 19:23 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ। दुनिया भर के देशों का पांचवां हिस्सा आने वाले लगभग 20 सालों में पानी की भयानक किल्लत झेल रहा होगा। ऐसा होने का मुख्य कारण दुनियाभर के मौसम में हो रहे बदलाव से प्रभावित हो रहा वर्षाचक्र है। साथ ही लगातार बढ़ती जनसंख्या से बढ़ रही पानी की खपत।

33 देशों में मच सकता है पानी के लिए हाहाकार

एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) ने एक सूची तैयार की है, जिसमें सबसे खराब स्थिति वाले देशों को तय किया गया है। इस लिस्ट के हिसाब से खाड़ी देशों की स्थिति सबसे खतरनाक है। ऐसे 33 देशों में जहां पानी की किल्लत होने वाली है, 14 देश मिडल ईस्ट में ही स्थित हैं। इनमें से भी सबसे खस्ताहाल नौ देश हैं, इनमें बहरैन, कुवैत, फिलिस्तीन, कतर, यूएई, इज़रायल, सऊदी अरब, ओमान और लेबनान शामिल हैं।

"यह क्षेत्र (मिडल ईस्ट) में पहले से ही पानी के सीमित संसाधनों का सामना करता है। यहां के देशों में पानी का मुख्य स्रोत भू-गर्भ जल और साफ किया गया समुद्र का पानी है। ऐसे में ये देश आने वाले समय में विषम परिस्थितियों की ओर बढ़ रहे हैं," रिपोर्ट में कहा गया।

किसी दूर देश की चुनौती नहीं, भारत पर भी संकट

पानी की किल्लत की समस्या को बहुत दूर किसी देश की चुनौती न समझें। खाड़ी देशों के बाद खतरे की स्थिति में जो देश हैं, उनमें अमेरिका और चीन के साथ ही भारत का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, ये देश पहले ही पानी के सीमित संसाधनों का संकट झेल रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, फिलिपींस, मंगोलिया, नमीबिया, दक्षिण अफ्रीका, बोस्टवाना, पेरू, चिली और उत्तर अफ्रीका के देशों में भी 2040 तक पानी की भीषण कमी होगी।

क्या कहते हैं आंकड़े

इस शोध के लिए विश्वभर के देशों को क्षेत्रों के हिसाब से कई छोटे समूहों में बांटा गया और इन देशों में औसत वर्षा और बढ़ती पानी की खपत का अध्ययन किया गया। जिन देशों में पानी की मांग, वहां मौजूद भू-तल के पानी की 80 प्रतिशत भी रही, उन्हें 'सबसे खराब' स्थिति वाले देशों में शामिल किया गया।

वर्षा के आंकड़े मौसम के बदलावों को भांपने वाले ऐेसे मॉडल से पता लगाए गए हैं, जो वर्षा की गणना बदलते मौसम को ध्यान में रखकर करता है। मॉडल यह भी बताता है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ती रही तो आने वाले समय में इसका वर्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
चार्ल्स आइलैण्ड, शोध के निदेशक, डब्ल्यूआरआई

भूमध्यरेखा पर स्थित देशों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा प्रभाव

निदेशक के अनुसार भूमध्यरेखा पर स्थित देशों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। शोध की मानें तो "संभावनाओं के अनुसार आने वाले समय में गर्मी बढ़ने के साथ भूमध्यरेखा पर क्षेत्रों से पानी का वाष्पीकरण तेज़ हो जाएगा। ऐसे में कुछ ऐसे क्षेत्र जहां अभी थोड़ी वर्षा हो जाती है, वहां भविष्य में कम वर्षा हुआ करेगी"। निदेशक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के साथ ही देशों में पानी की प्रति व्यक्ति खपत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या दबाव बढ़ रहा है, विश्व की जनसंख्या 900 करोड़ पार करने वाली है।

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