लखनऊ। सड़क सुरक्षा सप्ताह के बाद भी राजधानी में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। राजधानी में अगर सड़क हादसों के आंकड़ों की बात की जाए तो 2016 में सड़क हादसों में 82 मौतें हुई हैं, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 70 था। मौतों का बढ़ता ग्राफ सड़क सुरक्षा सप्ताह को मुंह चिढ़ाता नज़र आ रहा है। शहरवासियों को यातायात नियम के प्रति जागरूक करने का जिला प्रशासन का दावा फिलहाल बेअसर दिखाई दे रहा है।
11 जनवरी से 17 जनवरी तक राजधानी में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उसके बाद भी राजधानी में यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते लोग बेलगाम गाड़ी दौड़ा रहे हैं और राजधानी में लगातार सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत हो रही हैं। बता दें कि भारत में हर तीन मिनट में एक मौत सड़क हादसे की वजह से होती है।
सड़क सुरक्षा सेल के अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल बताते हैं कि यूपी में एक नहीं, कई वजहों से सड़क हादसे हो रहे हैं। इन वजहों को चिन्हित कर लिया गया है। धीरे-धीरे विभाग की ओर से प्रदेश भर के जनपदों में जाकर विभिन्न माध्यमों के जरिए लोगों को यातायात नियमों का पालन करने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
नियम तोड़ने पर अधिकतर सड़क हादसे होते हैं। नियम तोड़ने में शिक्षित लोगों की संख्या ज्यादा होती है। नियमों का पालन हो और अभिभावक अपने बच्चों के ऊपर निगरानी रखें तो हादसों में कमी हो सकती है।हबीबुल हसन, अपर पुलिस अधीक्षक (यातायात)
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में चेकिंग दलों को कई सुविधाओं से लैस किया जाएगा। जिससे सड़क दुर्घटना करके भागने वाले जल्द से जल्द पुलिस के पकड़ में होंगे।
उत्तर प्रदेश में हुए सड़क हादसे और मौतें
वर्ष मौतें हादसे
2011 3934 5,963
2012 4,448 6,715
2013 4,862 6,650,
2014 6,764 8,858
2015 6,865 8,875
2016 7,554 9,542
इन कारणों से नहीं थम रहे हादसे
बगैर हेलमेट गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करना, सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना। बेलगाम स्पीड में गाड़ी दौड़ाना। वर्ष 2012-16 तक 1247 सड़क हादसे हुए। इनमें 466 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई चालक गंभीर रूप से घायल होकर विकलांगता के शिकार हो गए। वहीं हाइवे पर होने वाली दुर्घटनाओं पर गौर करें तो मौत के आंकड़े बढ़ जाएंगे। नेशनल हाइवे पर प्रति माह 24 सड़क हादसे हो रहे हैं, जिसमें 15 मामलों में घायलों की मौत हो जाती है।
80 प्रतिशत मामलों में सिर पर आती है चोट
सड़क दुर्घटना में 80 प्रतिशत घायलों के सिर में चोट लग रही हैं। कई बार गम्भीर चोट लगने से उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। ट्रामा सेंटर सर्जरी यूनिट के प्रभारी डाक्टर संदीप तिवारी का कहना है कि सड़क हादसों मे अधिकतर मौतें सिर पर चोट लगने से होती हैं। थोड़ी सी सर्तकता से सड़क दुर्घाटनाओं को कम किया जा सकता है।