समान कार्य के लिए समान वेतन अस्थायी कर्मचारियों पर लागू: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2016-10-29 19:59 GMT
प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘समान कार्य के लिए समान वेतन' का सिद्धांत उन सभी पर लागू किया जाना चाहिए जो दैनिक वेतनभोगी, अस्थायी और अनुबंधित कर्मचारियों के तौर पर नियमित कर्मचारियों की तरह ही ड्यूटी करते हैं।

शोषणकारी गुलामी करार दिया

उच्चतम न्यायालय ने समान कार्य के लिए समान वेतन से इनकार को शोषणकारी गुलामी, अत्याचारी, दमनकारी और जबर्दस्ती करार दिया। न्यायालय ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में सिद्धांत अस्थायी कर्मचारियों तक भी विस्तारित किया जाना चाहिए।

ऐसा कदम मानव गरिमा के आधार पर चोट

न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की एक पीठ ने कहा, ‘‘हमारी दृष्टि से श्रम के फल से वंचित करने के लिए कृत्रिम मानदंड बनाना गलत है। एक ही काम के लिए संलग्न किसी भी कर्मचारी को उस कर्मचारी से कम वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता, जो वही कार्य और जिम्मेदारियां वहन करता है। निश्चित रुप से किसी भी कल्याणकारी राज्य में नहीं। ऐसा कदम अपमानजनक होने के साथ ही मानव गरिमा के आधार पर चोट करता है।''

ऐसा स्वैच्छिक तौर पर नहीं करता

पीठ ने यह भी कहा कि ‘‘जिस किसी को भी कम वेतन पर काम करने के लिए बाध्य किया जाता है वह ऐसा स्वैच्छिक तौर पर नहीं करता। वह ऐसा अपने परिवार को भोजन और आश्रय मुहैया कराने के लिए अपने आत्मसम्मान और गरिमा की कीमत पर, अपने स्वाभिमान और ईमानदारी की कीमत पर करता है।''

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