नवजात के इलाज में लापरवाही, जिला अस्पताल में नहीं किया भर्ती

Update: 2016-11-20 20:18 GMT
नवजात बच्चे को मीडिया कर्मियों के कहने पर मिला प्राथमिक उपचार।

स्वयं प्रोजेक्ट

कन्नौज। बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से कोसों दूर वीवीआईपी जिले में स्वास्थ्य विभाग का एक और अमानवीय चेहरा सामने आया है। कारण कुछ भी हो पर मरीज का प्राथमिक उपचार या भर्ती न करना गरीब की जिंदगी से खिलवाड़ है।

जिला अस्पताल ले जाने की दी सलाह

मामला जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर बसे गांव जसोदा के हजरतपुर का है। कुछ दिन पहले यहां प्रदीप की पत्नी के बच्चा जन्मा। जन्म के बाद देखा गया तो उसके पीठ पर फोड़ा जैसा पाया गया। उसमें घाव भी हो गया। अब उससे खून निकल रहा है। प्रदीप समेत अन्य परिजनों ने नवजात को एएनएम आदि को दिखाया। पर किसी ने उसे जिला अस्पताल या निकट के सीएचसी या पीएचसी में भर्ती नहीं कराया।

केजीएमयू ले जाने को कह दिया

आंगनवाड़ी कार्यकत्री शशीप्रभा ने बताया कि शुक्रवार को जलालाबाद ब्लॉक क्षेत्र के डॉ. वरुण कटियार को जानकारी दी गई। उन्होंने बच्चे को देखने के बाद उसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की श्रेणी में बताया। बच्चा गंभीर स्थिति में होने के चलते उसे 102 एंबुलेंस से परिजन जिला अस्पताल ले गए। आंगनवाड़ी कार्यकत्री का कहना है, “जिला अस्पताल में किसी ने भी बच्चे को भर्ती ही नहीं किया। उसका प्राथमिक उपचार भी नहीं किया गया। केवल लखनऊ के केजीएमयू में ले जाने की सलाह दे दी गई।”

थककर पिता वापस ले आया घर

हालांकि, बाद में कुछ मीडियाकर्मियों के पहुंचने और कहने के बाद नवजात का प्राथमिक उपचार हुआ। बताया गया कि विषेशज्ञ डॉक्टर न होने की वजह से बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। प्रदीप का कहना है कि वह मजदूरी करता है। गुरसहायगंज काम के एवज में पैसे लेने गया था, लेकिन मिले नहीं। इतने पैसे हैं नहीं कि निजी अस्पताल या दूर कहीं इलाज करा सके। किराए-भाडे़ में भी पैसा खर्च होता है। दो-तीन दिन में जब रूपये की व्यवस्था हो सकेगी तभी ले जा पाऊंगा। अभी बच्चे को घर ले आया है।

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