आईआईटी की क्लास बंक करते थे गूगल सीईओ सुंदर पिचई

Update: 2017-01-06 12:01 GMT
आईआईटी खड़गपुर में छात्रों को संबोधित करते सुंदर पिचई।

खड़गपुर (भाषा)। गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने कबूल किया कि आईआईटी खड़गपुर में पढ़ाई के दौरान वह क्लास से गायब रहा करते थे। पिचई ने इस बात पर हैरत भी जताई कि आईआईटी में पढ़ाई कर रहे युवा भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) में दाखिले की तैयारी में लगे होते हैं। उन्होंने असल दुनिया के तजुर्बे हासिल करने की अहमियत पर भी जोर दिया।

असल दुनिया का तजुर्बा ही काम आता है

यहां आईआईटी के छात्रों से मुखातिब पिचई ने कहा, ‘‘(भारत में) आपके पूरे करियर के दौरान कुछ तय नियमों का पालन करने का खासा दबाव होता है। जब आप हाई स्कूल में होते हैं, तो आप कॉलेज के बारे में सोचते हैं। मुझे हैरत होती है कि लोग आईआईटी में दाखिला लेते ही आईआईएम के बारे में सोचने लग जाते हैं। असल दुनिया का तजुर्बा हासिल करना काफी अहम है।’’ साल 1993 में बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के 23 साल बाद अपने संस्थान में आए पिचई ने कहा कि छात्र किताबों और शैक्षणिक तौर पर सीखने में काफी वक्त देते हैं।

आठवीं के बच्चे आईआईटी इंट्रेस की तैयारी कर रहे हैं, यह शॉकिंग है

अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए थोड़ा भावुक हुए पिचई छात्रावास के उस कमरे में भी गए जहां वह रहते थे। उन्होंने शिक्षकों से मुलाकात की और छात्रों से मुखातिब हुए। पिचई ने कहा कि उन्हें यह सुनकर काफी अचंभा हुआ कि आठवीं क्लास में पढ़ने वाले कुछ छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू कर चुके हैं। उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मेरे समय में काफी लोग कहा करते थे कि यह शख्स फलां कॉलेज में दाखिला नहीं ले सका और अब उसके लिए रास्ते बंद हो गए।’

शिक्षा के क्षेत्र में भारत की आधारशिला काफी मजबूत

पिचई ने आईआईटी के छात्रों को सलाह दी कि वे कुछ अलग करने की कोशिश करें, जोखिम लें, हर हुनर को सीखें और अपने जुनून को मानें। बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत की आधारशिला काफी मजबूत है, क्योंकि माता-पिता या अभिभावक हमेशा इसी बारे में बात करते हैं। पिचई ने कहा कि अमेरिका में, उदाहरण के तौर पर स्टैनफोर्ड में, छात्र प्रमुख विषय तभी चुनते हैं जब वे अपने अंतिम वर्ष में होते हैं।

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