बैंकिंग नकद लेनदेन कर पर विचार करेगी सरकार 

Update: 2017-01-25 17:06 GMT
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन सिफारिशों पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

नई दिल्ली (भाषा)। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह बैंकों के साथ 50,000 रुपए से अधिक के नकद लेनदेन पर ‘बैंक नकद लेनदेन कर' (बीसीटीटी) लगाने की मुख्यमंत्रियों की समिति की सिफारिश पर कोई निर्णय लेने से पहले विचार करेगी।

डिजिटल लेनदेन पर सुझाव देने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के संयोजकत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी गई अपनी रपट में इस तरह के कर की सिफारिश की है। रपट में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित और नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं।

समिति ने अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने रखने के उद्देश्य से सभी तरह के बड़े लेनदेन में नकद लेनदेन की एक सीमा तय करने व 50,000 रुपए से अधिक के लेनदेन पर शुल्क लगाने की सिफारिश की है।

समिति ने कार्ड और ऐसे दूसरे साधनों के जरिए भुगतान के लिए कई तरह के प्रोत्साहनों की भी सिफारिश की है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार जारी वक्तव्य में कहा है कि इन सिफारिशों पर सावधानी के साथ गौर किया जाएगा और उचित समय पर निर्णय लिए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया में समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बारे में कई तरह के समाचार आए हैं। इसमें यह सिफारिश 50,000 रुपए और इससे अधिक के नकद लेनदेन पर बैंक नकद लेनदेन कर लगाने के बारे में भी है।

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन सिफारिशों पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। सरकार ने पिछले नवंबर में 1000 और 500 रुपए मूल्य के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के निर्णय के बाद मुख्यमंत्रियों की इस समिति का गठन किया था। समिति को नकदी के प्रयोग को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान के समाधान अपनाने के बारे में सुझाव प्रस्तुत करे को कहा था।

समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि गैर-करदाताओं और छोटे व्यापारियों द्वारा स्मार्टफोन खरीदने पर 1,000 रुपए की सब्सिडी दी जानी चाहिए। साथ ही सरकारी प्रतिष्ठानों, एजेंसियों को डिजिटल तरीके से भुगतान किए जाने पर शून्य अथवा कम से कम मर्चेंट रियायती दर (एमडीआर) रखा जाना चाहिए।

इससे पहले 2005 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंकों से नकद लेनदेन पर कर लगाने की शुरुआत की थी। हालांकि इस कर को एक अप्रैल 2009 से वापस ले लिया गया था।

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