नई दिल्ली (भाषा)। वस्तु और सेवाकर (GST) के प्रस्तावित चार स्तरीय ढांचे से आम आदमी प्रभावित हो सकता है। इस कर ढांचे के अमल में आने से आम आदमी की रसोई में काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसा सामान महंगा हो सकता है। अप्रत्यक्ष कर के इस ढांचे में दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि करों में कमी से सस्ते हो सकते हैं।
सरकार एक अप्रैल 2017 से अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई व्यवस्था वस्तु और सेवाकर (GST) को लागू करना चाहती है। राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ इस सप्ताह हुई बैठक में केंद्र ने GST के तहत चार स्तरीय कर ढांचे का प्रस्ताव किया है।
GST की सबसे कम दर 6 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है जबकि 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें होंगी। इसके अलावा 26 प्रतिशत की एक शीर्ष दर होगी जो कि त्वरित उपभोग वाले सामानों और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों पर लागू होगी। कुछ ऐसे उत्पाद जो कि महत्वपूर्ण नहीं हैं और जिनसे प्रदूषण फैलता है इस तरह के उत्पादों पर उपकर भी लग सकता है।
केंद्र के चार स्तरीय कर ढांचे का खुदरा मुद्रास्फीति पर असर पड़ने के अनुमान के मुताबिक चिकन और नारियल तेल जैसे उत्पाद जिनपर अब तक चार प्रतिशत की दर से कर लगता है उनपर GST के तहत 6 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। इसी प्रकार रिफाइंड तेल, सरसों तेल और मूंगफली तेल पर भी कर की दर 5 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत हो जायेगी।
रसोई में काम आने वाले अन्य उत्पादों पर भी 6 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। इनमें हल्दी और जीरा जैसे उत्पाद है जिन पर तीन प्रतिशत की बजाय अब छह प्रतिशत की दर से कर लगेगा। धनिया, काली मिर्च और तिलहन पर 5 प्रतिशत के बजाय छह प्रतिशत की दर से GST लगेगा।