हज कमेटी के सदस्यों ने निविदा प्रक्रिया में ‘पारदर्शिता’ और सब्सिडी के विकल्प की मांग की

Update: 2017-02-26 11:33 GMT
हज

नई दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत हज सब्सिडी खत्म करने के संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से समिति का गठन किए जाने की पृष्ठभूमि में भारतीय हज कमेटी के कुछ सदस्यों ने हज से संबंधित निविदा प्रक्रिया में ‘पारदर्शिता लाने' की मांग करते हुए कहा है कि वैकल्पिक व्यवस्था तलाशने तक सब्सिडी बदस्तूर जारी रहनी चाहिए।

पिछले दिनों हज कमेटी, जेद्दा स्थित भारतीय वाणिज्य दूत और केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में हज कमेटी के सदस्यों ने हज सेवाओं की निविदा प्रक्रिया और सब्सिडी के मुद्दे पर कई मांगें रखीं। सूत्रों के अनुसार, हज कमेटी के उपाध्यक्ष सुलतान अहमद और दो सदस्यों, इनायत कुरैशी तथा मोहम्मद मकसूद अशरफ ने सब्सिडी और निविदा प्रक्रिया को लेकर ‘पारदर्शिता और स्पष्टता' की पैरवी की तथा ‘पिछले कुछ वर्षों की निविदाओं के ऑडिट की मांग की।

तृणमूल सांसद सुलतान अहमद ने कहा, ‘‘हज सब्सिडी खत्म करने की बातें हो रही हैं, लेकिन हमारा सिर्फ यह कहना है कि अगर फिजूलखर्ची रोक दी जाए तो शायद सब्सिडी की जरुरत नहीं पड़े।'' अहमद ने कहा, ‘‘फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के लिए हज की निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता लाई जानी चाहिए। उड़ानों, हाजियों के लिए आवासीय स्थलों और दूसरी सुविधाओं के लिए पारदर्शी ढंग से निविदाएं जारी की जाएं ताकि स्पर्धा बढे और खर्च कम हो।''

हज कमेटी के सदस्य इनायत कुरैशी ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत सब्सिडी खत्म होनी है, लेकिन हमारी सरकार से यह मांग है कि इसका कोई विकल्प ढूंढा जाए ताकि हाजियों पर बोझ नहीं पडे। मोदी सरकार की कोशिशों की वजह से हज कोटे में करीब 34,500 की बढोतरी हुई और उम्मीद करते हैं कि सब्सिडी वाले मामले पर भी सरकार ध्यान देगी।''

निविदा प्रक्रिया के बारे में इनायत कुरैशी ने कहा, ‘‘हमने उस बैठक में यही कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की निविदा प्रक्रिया होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें शामिल हों। प्रतिस्पर्धा बढने से हज से संबंधित सेवाएं किफायती होंगी।'' हज कमेटी के उपाध्यक्ष अहमद ने कहा, ‘‘हमारी मांग यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों की निविदाओं का ऑडिट कराया जाए ताकि खर्चे का सही लेखा-जोखा लोगों के सामने आ सके। निविदा प्रक्रियाओं में हर हाल में पारदर्शिता लाई जानी चाहिए।''

बीते आठ फरवरी को संसद में हज खर्चे को लेकर पूछे गए सवालों पर अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था, ‘‘हज से संबंधित आर्थिक सहायता में धीरे-धीरे कमी करने से हज यात्रा के लिए सिर्फ किराया बढ़ सकता है और इससे दूसरे खर्चों पर कोई असर नहीं होगा। सरकार और भारतीय हज कमेटी का यह सतत प्रयास है कि हज यात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार हो।''

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