नई दिल्ली (भाषा)। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बुधवार को कहा कि अनिवार्य मतदान का विचार व्यावहारिक नहीं लगता। कुछ महीने पहले सरकार ने लोकसभा में इसी तरह की मांग को खारिज कर दिया था।
जैदी ने कहा, ‘‘कुछ देशों की तरह अनिवार्य मतदान पहले भी चर्चा का विषय रहा है। हमें यह विचार इतना व्यावहारिक नहीं लगा। लेकिन हम इस बारे में विचार सुनना चाहेंगे।'' वह यहां मतदाता जागरूकता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
फरवरी में अनिवार्य मतदान पर लोकसभा में पेश एक गैर-सरकारी विधेयक पर जवाब देते हुए तत्कालीन कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा था कि वह सदस्यों की सोच की प्रशंसा करते हैं लेकिन सरकार के लिए अनिवार्य मतदान को शुरू करना तथा वोट नहीं डालने वालों को दंड देना संभव नहीं होगा।
विधि आयोग ने मार्च में चुनाव सुधारों पर अपनी रिपोर्ट में अनिवार्य मतदान की सिफारिश नहीं करने का फैसला किया था। आयोग ने इसे कई कारणों से अत्यंत अनुपयुक्त बताया था। बाद में जैदी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में कराने के बारे में संवाददाताओं के सवाल पर कहा कि आयोग ने एक संसदीय समिति और कानून मंत्रालय को बताया है कि जब राजनीतिक दल सर्वसम्मति से संविधान में संशोधन करें और नई ईवीएम खरीदने जैसी आयोग की कुछ मांगों को पूरा किया जाए तो ही यह कवायद हो सकती है।
मई में इस मुद्दे पर कानून मंत्रालय को अपने जवाब में आयोग ने कहा था कि वह प्रस्ताव का समर्थन करता है लेकिन इसमें 9000 करोड़ रुपये से अधिक लागत आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को भाजपा के पदाधिकारियों की एक बैठक में कहा था कि वस्तुत: पूरे साल होने वाले स्थानीय स्तर के चुनावों के साथ राज्यों के चुनाव अकसर कल्याणकारी कदमों को लागू करने में बाधा बनते हैं। उन्होंने पांच साल में एक बार एक साथ चुनाव कराने की वकालत की।