करवाचौथ की मेहंदी में भी घुसा महंगाई का जिन्न

Update: 2016-10-17 18:35 GMT
पत्रकारपुरम के पास मेहंदी आर्टिस्ट से हाथों में मेहंदी लगवाती एक महिला।

लखनऊ। त्योहार के अवसर पर हाथों पर मेहंदी सजे ऐसी ख्वाहिश लगभग हर सुहागिन की होती है। ऐसे में अगर त्योहार करवाचौथ का हो तो इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए सुहागिनें ही नहीं, बल्कि होने वाली सुहागिनें भी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहती हैं। महिलाओं की इसी ख्वाहिश को अपनी मोटी आमदनी का जरिया बना रहे हैं वह मेहंदी आर्टिस्ट जो इन दिनों गली-मोहल्लों के साथ खास बाजारों में बैठकर मेहंदी लगाने का काम कर रहे हैं।

500 से 2100 रुपये तक रेट

इन आर्टिस्ट ने मेहंदी लगाने की कीमत 500 रुपये से लेकर 2100 रुपये से भी अधिक तय की है। शहर के लगभग हर बाजार में मेहंदी लगाने वाली आर्टिस्ट की खासी संख्या होने के बावजूद मेहंदी लगवाने के लिए महिलाओं को लम्बी लाइन लगानी पड़ रही है जो करवाचौथ की दोपहर तक ऐसे ही बरकरार रहने वाली है। वैसे तो हर सुहागिन लगभग हर त्योहार पर सजने-संवरने की ख्वाहिश रखती है, लेकिन करवाचौथ पर सुहागिनों के लिए यह ख्वाहिश ज्यादा बढ़ जाती है।

सौभाग्य की निशानी है मेहंदी

वहीं सोलह श्रंगार में शामिल मेहंदी का महत्व करवाचौथ पर कुछ ज्यादा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। मान्यता है कि जिस लड़की के हाथों की मेहंदी ज्यादा गहरी रचती है, उसे अपने पति से अधिक प्रेम मिलता है। तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि गहरी रची मेहंदी पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य को भी दर्शाती है।

करवाचौथ की बात अलग

हजरतगंज लवलेन मार्केट के आस-पास मेहंदी लगाने वाले श्याम कुमार 25 वर्ष कहते हैं कि करवाचौथ के दिन ही हमारा यह काम सबसे ज्यादा फलता-फूलता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो कई अन्य त्योहारों पर भी महिलाएं और युवतियां मेहंदी लगवाने आती हैं, लेकिन तब संख्या इतनी ज्यादा नहीं होती और न ही मेहंदी लगाने के अच्छे दाम मिल पाते हैं। वहीं, मेहंदी लगाने की इतनी ज्यादा कीमत क्यों वसूल रहे हैं ? इस पर श्यामक कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सब तरह की मेहंदी के लिए एक ही दाम लिये जाते हों। हल्की डिजाइन के कम पैसे और भारी डिजाइन के ज्यादा पैसे मेहनत के अनुसार लिये जा रहे हैं।

मेहंदी की डिजाइन कैसी, यह जरूरी है

वहीं पत्रकारपुरम मार्केट में मेहंदी लगाने वाले आर्टिस्ट अनूप सिंह 31 वर्ष कहते हैं कि करवाचौथ का इंतजार पूरे साल करता हूं। इस दिन महसूस होता है कि मेहंदी लगाने जैसी कला वाकई बहुत महत्वपूर्ण है। बचपन में लोगों को मेहंदी लगाता देख कर मैं शौक-शौक में अपने और अपनी बहनों के हाथ पर मेहंदी लगाता था। पहले किताब से देखकर डिजाइन बनाता था, जैसे-जैसे हाथ साफ होता गया डिजाइन दिमाग में आती रहती थी। आज भी जो लोग डिजाइन मुझ पर छोड़ते हैं। उनके हाथों और पैरों में डिजाइन मैं बिना देखे ही लगा देता हूं और इसके लिए मैं दो हाथों के 400 और पैरों के 600 रुपये तक लेता हूं। लेकिन अधिकतर महिलाएं खुद डिजाइन बताती या दिखाती हैं तो उसकी हल्की या भारी डिजाइन के अनुसार अलग-अलग दाम के तहत मैं मेहंदी लगाता हूं। मेहंदी लगवाने वालों में सबसे ज्यादा भीड़ नयी-नवेली दुल्हन या होने वाली दुल्हन की होती है लेकिन बाकी सुहागिनें भी काफी संख्या में आती हैं।

यह मेरा पहला करवाचौथ

मेहंदी लगवाने आयीं नव-विवाहित नेहा गुप्ता 23 वर्ष कहती हैं कि यह मेरा पहला करवाचौथ है। मैं अपने पति के सामने सबसे सुंदर दिखना चाहती हूं इसलिए करवाचौथ के दिन ब्यूटी पार्लर जाकर तैयार होना चाहती हूं। इसके लिए बुकिंग करवा ली है, लेकिन मेहंदी के लिए मैंने यहीं आना उचित समझा, क्योंकि सड़क किनारे बैठे यह मेहंदी आर्टिस्ट बहुत सुंदर मेहंदी लगाते हैं। वह कहती हैं कि मेहंदी लगवाने की कीमत बहुत ज्यादा तो है लेकिन जब बाकी त्योहार पर अन्य सामानों पर इतना खर्च किया जा सकता है तो फिर करवाचौथ पर पति के लिए सजने-संवरने में भी खर्च किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि मेहंदी केवल महिलाएं ही लगवा रही हों। कई नव-विवाहित पति भी अपनी पत्नियों के नाम की मेहंदी अपनी हथेली पर सजाने में संकोच नहीं कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे पुरुष भी शामिल हैं जो अपनी पत्नी के साथ करवाचौथ का व्रत भी रखने का इंतजार कर रहे हैं।

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