सेवानिवृत्त होने के बाद म्यूज़ियम में तब्दील होगा या कबाड़ बनकर रह जाएगा आईएनएस विराट?
लखनऊ। करीब 57 वर्ष पुराना भारत का गौरव विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट आज भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने जा रहा है। 27 साल ब्रिटिश आर्मी की रॉयल नौसेना से जुड़े रहने के बाद करीब 30 साल भारतीय नौसेना के लिए अपनी सेवाएं दीं।
इसके सेवानिवृत्त होने के पहले ही भारत के सबसे पुराने युद्धपोत के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे है। इसे एक होटल, एक म्यूजियम में तब्दील किया जाएगा या फिर मोटरबाइक में इस्तेमाल होने वाली धातु बनकर रह जाएगा, इस रहस्य से पर्दा उठना अभी बाकी है।
नौ सेना प्रमुख सुनील लांबा के एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू के अनुसार, ‘अगर चार महीने तक आईएनएस विराट को कोई खरीदार नहीं मिलेगा तो इसे तोड़कर रद्दी में बेच दिया जाएगा। विराट के रिटायर होने के बाद उसे गुजरात के अलंग शिपयार्ड ले जाया जाएगा, जहां चार महीने के इंतज़ार के बाद उसे तोड़कर कबाड़ में बेच दिया जाएगा। हालांकि कोई भी फैसला सेवानिवृत्त होने के चार-छह महीने के बाद ही लिया जाएगा।’
लांबा ने यह भी कहा, ‘एक विचार आईएनएस विराट को डुबोने और इसे पर्यटक आकर्षण के रूप में बदलने का भी है।’ लांबा के अनुसार, ‘इसके लिए कई सिफारिश है। एक सिफारिश आईएनएस विराट को मरीन म्यूज़ियम में तब्दील करने की है जिसके वह पर्यटकों के लिए विशेष ठिकाना बनेगा और भारतीय नौसेना इतिहास में अपनी सेवा के बारे में लोगों को रूबरू कराएगा। इस संदर्भ में नौसेना के कुछ बड़े अधिकारियों ने विराट को डुबोकर अंडर वॉटर म्यूज़ियम बनाने का भी सुझाव दिया है।’
क्यों आई सेवानिवृत्त करने की नौबत
विराट के बड़े आकार और उसकी उम्र के चलते इसकी देखरेख की कीमत बढ़ती जा रही है जिसके चलते 2014 में एक रिव्यू बोर्ड ने इसे सेवानिवृत्त करने का फैसला लिया था। 2015 में इस जहाज़ को आंध्र सरकार को दे दिया गया था और घोषणा की गई थी कि इसे म्यूज़ियम में बदल दिया जाएगा। उस समय बताया गया था कि इस जहाज़ की रीफिटिंग का खर्चा 20 करोड़ आएगा लेकिन बाद में आंध्र प्रदेश सरकार ने पूरे प्रोजेक्ट में 1,000 करोड़ का खर्च बताया।
भारत के सबसे पुराने युद्धपोत के बारे में जानकारी
-आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है। ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतने लंबे समय तक सीमा की सुरक्षा में डंटा रहा। इसे 'ग्रेट ओल्ड लेडी' के नाम से भी जाना जाता है।
-ब्रिटिश नौसेना में इस युद्धपोत को 1959 में शामिल किया गया था तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था। रॉयल नेवी के फॉक लैंड सैन्य अभियान (1982) में इस युद्धपोत ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
-भारतीय नौसेना में इसे 1987 में शामिल किया गया। भारत ने 1987 में 465 मिलियन अमेरिकी डॉलर में इसे ख़रीदा और इसे नाम आईएनएस विराट नाम दिया। इसे ख़रीदते वक्त सिर्फ पांच साल तक इसे इस्तेमाल करने की योजना थी लेकिन 30 साल तक इसने सेवा दी।
-यह फौलादी प्रहरी करीब 24000 टन वजनी है। 227 मीटर लंबे, 27.4 मीटर चौड़े इस विमानवाहक पोत का नौसैनिक कोड R-22 है। विराट में एक बार में 43 अधिकारियों समेत 1350 नौसैनिक एक साथ काम करते थे। इसे कमांड करने वाले कई अधिकारी नौसेना प्रमुख तक बने।
-आईएनएस विराट ने 1989 के ऑपरेशन जुपिटर (श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भेजे जाने का अभियान) और 1999 में ऑपरेशन विजय ( कारगिल युद्ध) के दौरान अहम भूमिका निभाई।
-आखिरी बार अपने इंजन के दम पर विराट ने आखिरी सफर मुंबई से कोच्चि तक का किया था जहां इसे जरूरी मरम्मत और ड्राय डॉकिंग के लिए भेजा गया था। विराट इस आखिरी सफर पर 23 जुलाई 2016 को रवाना हुआ था। बाद में अक्टूबर 2016 में कोच्चि से तीन नौकाओं के सहारे खींचकर मुंबई लाया गया।