जब कलाम को मंगलयान के प्रक्षेपण से एक दिन पहले बेमन बेंगलूर से जाना पड़ा

Update: 2016-12-08 14:16 GMT
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।

नई दिल्ली (भाषा)। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 24 सितंबर, 2014 को मंगलयान प्रक्षेपण का गवाह बनना चाहते थे लेकिन इसके एक दिन पहले ही उन्हें बेंगलूर से बाहर जाना पड़ा हालांकि इसके लिए वह बिलकुल तैयार नहीं थे।

इसरो के तत्कालीन प्रमुख के राधाकृष्णन ने अपने जीवन वृतांत में इस बात का जिक्र किया है। कलाम को एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करना था।

राधाकृष्णन ने ‘माई ओडिसी: मेमोयर्स ऑफ दी मैन बिहाइंड दी मंगलयान मिशन'' में लिखा है, ‘‘तय तारीख से एक दिन पहले यानी 23 सितंबर को हमें बहुत बढ़िया सरप्राइज मिला। कलाम सर ने चेन्नई-दिल्ली दौरे के दौरान यहां हमारे पास बेंगलूर आने का फैसला किया था। उन्होंने आईएसटीआरएसी में कुछ घंटे गुजारे, वहां मौजूद सभी लोगों का अभिवादन किया और अभियान के निदेशक केसव राजू से इसका विवरण जाना।''

उन्होंने लिखा है, ‘‘वर्ष 1979-80 में एसएलवी-3 के पहले अभियान निदेशक रह चुके कलाम सर हमारी तैयारियों से संतुष्ट दिखे। वह तय नहीं कर पा रहे थे कि यहीं रुकें या फिर उत्तर भारत में एक विश्वविद्यालय में एक दीक्षांत समारोह में जाने के अपने वायदे को पूरा करें।'' स्मृति वृतांत में आगे लिखा है, ‘‘बच्चे की तरह बेमन से वह हवाईअड्डे के लिए निकले और उन्होंने मुझे कहा कि मैं उन्हें अभियान की प्रगति के बारे में बताता रहूं क्योंकि वह अपने संबोधन में इसका जिक्र करना चाहते थे।''

उस दिन भारत ने कम लागत वाले मंगल पर जाने वाले अंतरिक्षयान मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को पहले ही प्रयास में कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाकर इतिहास रचा था।

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