स्कूली बस में जीपीएस डिवाइस होना है ज़रूरी, सुप्रीम कोर्ट ने ज़ारी की थी गाइडलाइन
लखनऊ। एटा में हुए स्कूली बस-ट्रक के बीच भिंडत में करीब 20 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। साथ ही 40 बच्चे घायल हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस बस हादसे ने एक बार फिर सुरक्षा नियमों की पोल खोल दी है। बताया जा रहा है कि अधिक कोहरा होने की वजह से यह हादसा हुआ।
बताते चलें कि स्कूली बसों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए थे जिसे सभी प्रदेशों के परिवहन विभाग को सख्ती से पालन करने के आदेश सौंपे गई थे। विभाग ने पहल तो की लेकिन असर नहीं हुआ।
- बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए
- बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही किया जाएगा
- वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए
- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए
- बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके
- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था
- बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो
- बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य
- बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए
- बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो
- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो
- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो
- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके
- स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं।