बड़ी राशि के नोटों को अमान्य किये जाने से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा: सुब्बाराव 

Update: 2016-12-06 19:46 GMT
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव।

सिंगापुर (भाषा)। भारत सरकार के उच्च राशि की मुद्रा पर पाबंदी के निर्णय से अल्पकाल में वृद्धि प्रभावित हो सकती है लेकिन मध्यम से दीर्घकाल में इसका सकारात्मक वृहत आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। यह बात रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कही।

उन्होंने एक शोध पत्र में लिखा है, ‘‘हालांकि मध्यम से दीर्घकाल अवधि में वृहत आर्थिक प्रभाव सकारात्मक होगा।'' यह शोध पत्र इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशियन स्टडीज में प्रकाशित हुआ है जो नेशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर का एक शोध संस्थान है।

सुब्बाराव ने कहा कि अल्पकाल में 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी वृद्धि को प्रभावित कर सकती है। नकदी में कमी से खपत बाधित होगी। ‘‘लेकिन तार्किक रुप से नोटबंदी से मुद्रास्फीति की दर में कमी होगी क्योंकि इससे उन जिंसों की खपत में कटौती होगी जो उपभोक्ता कीमत सूचकांक में शामिल है।'' उन्होंने बड़ी राशि के नोटों को चलन से हटाने को उनका अमान्यीकरण बताया न कि विमुद्रीकरण।

सुब्बाराव ने कहा, ‘‘सरकार और रिजर्व बैंक जितनी तेजी और प्रभावी तरीके से स्थिति के प्रबंधन में सफल रहता है, उसका उतना ही कम विपरीत प्रभाव पडेगा।'' उन्होंने अमान्य मुद्राको बैंकों को जमा कराया जाता है और नई मुद्रा चलन में आती है. इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पडेगा। वह 2008 से 2013 के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

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