ब्रेक्जिट की प्रक्रिया शुरू करने के लिए टेरीजा मे ने संसद के भीतर मतदान में जीत हासिल की 

Update: 2017-02-09 18:11 GMT
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे।

लंदन (भाषा)। ब्रिटेन की संसद ने उस विधेयक का भारी बहुमत से समर्थन किया है जो प्रधानमंत्री टेरीजा मे को 31 मार्च तक ब्रेग्जिट को लेकर प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरा अधिकार देता है।

यूरोपीय संघ (वापसी की अधिसूचना) विधेयक पर हाउस आफ कामन्स में अंतिम चर्चा और मतदान कल रात हुआ ताकि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री को लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 को लागू करने की अनुमति मिल सके] जिससे वर्ष 2019 तक यूरोपीय संघ के गैर सदस्य के तौर पर ब्रिटेन के नए समझौते के लिए वार्ता की दो वर्षीय अवधि शुरू हो सके।

इस मसौदा विधेयक को 122 के मुकाबले 494 मतों से पारित किया गया और अब इस पर हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चर्चा होगी, जहां इसे आखिरी अनुमोदन मिलने की संभावना है।

इससे पहले हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों ने विधेयक के अंतिम संसोधनों पर चर्चा की, जिनमें वार्ता प्रक्रिया के लिए अहम सिद्धांत शामिल है। इसके बाद विधेयक को मतदान के लिए तीसरी एवं अंतिम बार पढ़ा गया।

नेता प्रतिपक्ष जेरेमी कोरबिन ने अपने सांसदों को निर्देश दिया था कि वे विधेयक के पक्ष में मतदान करें चाहे कोई संशोधन हो या नहीं हो। बहरहाल, उनको बगावत के दूसरे चरण का सामना करना पड़ा। पिछले महीने के मतदान के दौरान भी 49 से अधिक सांसदों ने व्हिप का उल्लंघन किया था।

छाया व्यापार मंत्री क्लाइव लुइस विपक्षी लेबर पार्टी के उन 52 सांसदों में शामिल थे। क्लाइव ने विधेयक को समर्थन देने के पार्टी के आदेशों की अवहेलना की और उन्होंने शैडो कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। पिछले सप्ताह के मतदान में शामिल नहीं हो सकीं छाया गृह मंत्री डिएन एबॉट ने इस बार विधेयक का समर्थन किया।

उन्होंने बीबीसी को बताया कि उनको ‘टोरी ब्रेग्जिट के विचार के बारे में कुछ आशंकाएं हैं' और उनका अनुमान है कि ब्रिटेन इसको लेकर अफसोस करेगा, हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं छाया कैबिनेट की एक वफादार सदस्य हूं और मैं जेरेमी कोरबिन के प्रति वफादार हूं।''

मे को खुद विद्रोह का सामना करना पड़ा जब उनके एक दर्जन से अधिक कंजरवेटिव सांसदों ने अलग रुख अख्तियार किया, लेकिन उन्होंने यह वादा करके मंगलवार को अपनी पार्टी की बगावत को काफी कम कर दिया कि ब्रेग्जिट को अंतिम रूप देने से पहले इस पर हाउस ऑफ कॉमंस में मतदान कराया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 को लागू किए जाने के पहले सांसदों और पीअर्स का समर्थन हासिल करना होगा जिसके बाद इस विधेयक को पिछले महीने पेश किया गया था।

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