दिवाली करीब पर भारतीय पटाखा बाजार में उत्साह नहीं : एसोचैम    

Update: 2016-10-28 19:07 GMT
लखनऊ में दिवाली के लिए लगाई गई पटाखों की दुकान ग्राहकों की तलाश में।   फोटो : विनय गुप्ता

लखनऊ (भाषा)। उद्योग मण्डल ‘एसोचैम' के एक ताजा सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है कि चीनी उत्पादों पर पाबंदी के बावजूद भारतीय पटाखा बाजार रफ्तार नहीं पकड़ सका है।

चीन में बने पटाखों के आयात और बिक्री पर रोक के बावजूद देशी पटाखों का बाजार जोर नहीं पकड़ सका है। पर्यावरण के प्रति विभिन्न संगठनों के जनजागरण अभियानों तथा कई अन्य कारणों से इस बार पटाखा बाजार में कोई उत्साह नहीं है। उद्योग मण्डल ‘एसोचैम' के एक ताजा सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है।

सिर्फ चीनी पटाखों की बाजार में आमद ने ही देशी पटाखा व्यवसाय को नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण के विरूद्ध विभिन्न संगठनों द्वारा जनजागरण अभियान चलाए जाने, अपनी गाढ़ी कमाई को पटाखों के रूप में जलाने के बजाय बचाने की बढ़ती प्रवृत्ति तथा समय बचाने की इच्छा समेत अनेक अन्य कारणों ने भी देशी पटाखा व्यवसाय को भारी क्षति पहुंचाई है।
पटाखा विक्रेताओं का कहना (सर्वे के मुताबिक)

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस. रावत ने कहा कि घरेलू पटाखा उद्योग को मजबूत करने के लिए चीनी पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जाना एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन पटाखे जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर बढ़ती आलोचना और प्रचार की वजह से पूरे देश में पटाखा उद्योग का विकास अवरूद्ध हुआ है।

हाल के वर्षों में चीन-निर्मित पटाखों की बिक्री बढने और पटाखे जलाने के खिलाफ जारी सघन अभियानों की वजह से पटाखा निर्माण हब माने जाने वाले शिवकाशी में पटाखे बनाने की सैकड़ों इकाइयां बंद हो चुकी हैं।
डीएस. रावत राष्ट्रीय महासचिव एसोचैम

एसोचैम ने पिछले 25 दिन के दौरान लखनऊ, भोपाल, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, मुम्बई, अहमदाबाद तथा बेंगलूरु समेत 10 शहरों के 250 थोक एवं खुदरा पटाखा विक्रेताओं से बात करके यह जानने की कोशिश की कि देश में चीनी पटाखों पर प्रतिबंध के बाद उनका क्या रख और नजरिया है.

लखनऊ में पटाखे की दुकान पर खाली बैठा दुकानदार फोटो : विनय गुप्ता

ज्यादातर पटाखा विक्रेताओं ने बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान पटाखों की बिक्री में साल दर साल 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, यही वजह है कि उन्होंने दीपावली के दौरान बेचने के लिए लाये जाने वाले पटाखों की मात्रा लगभग आधी कर दी है। सर्वे के मुताबिक कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोत्तरी और बढ़ती महंगाई की वजह से भी लोग पटाखे खरीदने के प्रति हतोत्साहित हुए हैं और यह रख पिछले कुछ वर्षों के दौरान बरकरार रहा है।



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