महाभारत कालीन बाराबंकी के महादेवा में उमड़ा शिवभक्तों का जनसैलाब

Update: 2017-02-24 20:28 GMT
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव दर्शन के लिए उमड़ा भक्तों का जन सैलाब।

बाराबंकी। शिवरात्री पर आज उत्तर प्रदेश के कई जिलों से शिव भक्त बाराबंकी महाभारत कालीन प्राचीन शिव मंदिर महादेवा पहुंचे हुए हैं और जिले में सभी जगह भम भोले शिव शंकर के जयकारो से गूँज रहा है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्तों का जमावड़ा लगा है। शिवभक्त कंधें पर काँवर रख कर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके महादेव मंदिर पहुंचे हुए हैं। बाराबंकी का ये महादेवा मंदिर हजारों वर्ष पुराना महाभारत कालीन समय का है। ये मंदिर लोधेश्वर महादेव के नाम से भी प्रसिद्द है।

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किसान के नाम पर पड़ा लोधेश्वर महादेवा मंदिर

घाघरा नदी के किनारे स्थित इस महादेवा शिवमंदिर की शिवलिंग एक खेत से निकली थी और ये खेत था किसान लोधेराम है। पौराणिक कहानी के अनुसार एक दिन किसान लोधेराम अपने खेतों में पानी लगाए हुए थे और बड़े परेशान थे, क्योंकी सिचाई का सारा पानी एक गड्ढे में जा रहा था और वो गड्ढा पानी से भी नहीं भर रहा था। रात को किसान लोधेराम परेशान होकर घर लौट आये और उन्होंने सपना देखा कि जहां जिस गड्ढें में पानी जा रहा था वहा भगवान शिव भोलेनाथ की शिवलिंग थी। ये वही शिवलिंग थी जिसे माता कुंती महाभारत में पूजा अर्चना करती थी। किसान सुबह-सुबह खेत पहुंचा और वहां खुदाई करवाई जहां हकीकत में शिवलिंग थी उसी के बाद से ही उसी स्थान पर ये शिवलिंग आज भी स्थापित है।

ये है मान्यता

इस शिव मंदिर में जो भी शिवभक्त जलाभिषेक करता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। खासकर शिवरात्री के दिन यहां शिव भक्तों का जनसैलाब ऐसा दिखता है की सभी जगह शिवभक्तों का जमावड़ा मिलता है।

भगवान भोलेनाथ की महिमा बड़ी निराली है, हर वर्ष मौक़ा मिलता है भगवान की बरात में शामिल होने का खुद को बड़ा सौभाग्य समझते है।
श्याम सिंह, चेयरमैन प्रतिनिधि, नगर पंचायत बंकी

महाशिवरात्रि पर निकली शिव बारात

एक तरफ जहां देश के पौराणिक शिव मन्दिरों में शिवरात्रि पर आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है। तो वहीँ दूसरी तरफ शिव महिमा के अलग-अलग स्थानों पर तरह-तरह के आयोजन हो रहे हैं। बाराबंकी जिले में शिव भक्तों ने भगवान शिव के विवाह के लिए शिव बारात निकाली। इस शोभायात्रा में भक्तों ने अबीर-गुलाल खेलकर बारात की रौनक बढ़ा दी।

वही किराना दुकान चलाने वाले शिवभक्त मनीष गुप्ता बताते हैं, ''बरात की तैयारी एक सप्ताह पूर्व से चलती है जिसमे ढोल नगाड़ा और बैंड बाजा भी रहता है। सभी लोग झूमते नाचते गाते और सारे दिन भगवान के भजन में मस्त रहते है।''

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