बच्चों को अपराधी बनने से रोकेगी मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई

Update: 2016-11-24 21:57 GMT
प्रतीकात्मक फोटो (साभार: गूगल)।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सुदूर गांवों से लेकर कस्बों तक गलत संगत में पड़कर कुछ बच्चे अपराध की राह पर चल निकल पड़ते हैं। ऐसे भटके हुए बच्चों को सुधारने और उनको नई राह दिखाने के लिए मौजूदा पुलिस के पास जो वातावरण और व्यवस्था है, वह नाकाफी है। ऐसे में इन बच्चों को अपराध और अपराधियों से बचाने के लिए मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया जा रहा है। यूनिसेफ और डा. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विद्यालय के सहयोग से पहले चरण में प्रदेश के 10 जिलों में इसका गठन किया जा रहा है। जिसमें से छह जिलों में इसका काम शुरू भी हो चुका है।

हर थाने में इकाई का होगा गठन

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह सचिव देबाशीष पण्डा ने बताया कि प्रदेश में किशोर न्याय अधिनियम 2015 और लैंगिग अपराधों से बच्चों को संरक्षण अधिनियम 2012 के अनुसार, हर थाने में मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया जा रहा है। इसका मकसद है कि पुलिस बाल अपराधियों के प्रति संवदेनशील बने। थाने में बाल अपराधियों के लिए ऐसी व्यवस्था और उनकी काउंसिल की जाए, जिससे आगे चलकर वह अपराध छोड़कर एक अच्छे नागरिक बन सकें। प्रदेश में 10 जिलों लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, आगरा, बरेली, श्रवस्ती और मिर्जापुर में पहले चरण में इसका गठन किया जा रहा है।

बच्चों की मदद के लिए बाल कल्याण अधिकारी रहेंगे तैनात

मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई के गठन में डा. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विद्यालय की तरफ से जुड़कर काम कर रही स्मृति शुक्ला ने बताया कि विशेष पुलिस इकाई का गठन हर जिले के एसपी कार्यालय में किया जाना है। जिसमें हर जिले के बाल कल्याण अधिकारी भी शामिल रहेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए काम कर रहे विशेषज्ञ, यूनिसेफ और बाल कल्याण सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को इसमें शामिल किया जाएगा।

बाल अपराधियों की जाएगी मॉनीटरिंग

मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई बच्चों से जुड़े लोग जिले में बच्चों के खिलाफ आने वाले मामलों की निगरानी करेंगे। जिलों में थानों के साथ मिलकर यह लोग काम करेंगे। हर थाने में जिन लोगों को बाल कल्याण अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, वह लोग भी बच्चों की काउंसिलिंग करने के साथ ही बच्चों के संबंधों में लोगों को प्रशिक्षण भी देंगे। भारत में बाल अपराधियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। देश में बाल अपराध को कम करने के लिए 15 जनवरी 2016 को नया किशोर न्याय अधिनियम लागू किया गया। इसके बाद से देश में बाल अपराधियों को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई प्रमुख है।

बच्चों के लिए छह जिलों में मॉडल बाल मित्र थाना

उत्तर प्रदेश में लगभग 22 करोड़ जनता की रक्षा के लिए 1500 थाने हैं, लेकिन बच्चों के लिए थाना नहीं है। ऐसे में जब किसी अपराध में बच्चे इन थानों में जातो हैं तो उनके लिए उचित माहौल नहीं मिल पाता है। प्रदेश सरकार का गृह विभाग राज्य में छह मॉडल बाल मित्र थाना निर्माण कर रहा है। यह थाने लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली, कानपुर के थाना कैंट, इलाहाबाद के थाना कोतवाली, वाराणसी के थाना कोतवाली, गोरखपुर के थाना कैँट और गाजियाबाद के सिहांनी गेट थाना में इसकी स्थापना का काम चल रहा है। अगले महीने से यह थाने काम भी करने लगेंगे। इसके बाद प्रदेश में 14 और बाल मित्र थानों की स्थापना की जाएगी।

उत्तर प्रदेश पुलिस अधिक से अधिक पब्लिक फ्रेंडली बनाई जा रही है। साथ ही महिला और बच्चों के प्रति उसकी संवेदनशीलता भी बढ़ाने का काम किया जा रहा है। मॉडल बाल मित्र थाने बाल अपराध को कम करने में सहायक साबित होंगे।
जावीद अहमद, डीजीपी, उत्तर प्रदेश

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