लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट मंगलवार आधी रात से बंद करने के फैसले पर सियासी दलों, अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों की राय भिन्न है। हालांकि ऐसा कड़ा फैसला लेने का श्रेय मोरारजी देसाई को जाता है। वह जब वह प्रधानमंत्री थे तो 1977 में उन्होंने 100 रुपए से ऊपर के सभी नोट बंद करने का ऐलान किया था।
जानकारों का कहना है कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट जब सर्कुलेशन से निकल जाएंगे तो फिर इनकी जगह नए नोट आ जाएंगे। इससे पूरी उम्मीद है कि काले धन पर अंकुश लग जाए।
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
बीबीसी हिन्दी डाट काम ने आर्थिक मामलों के जानकार आलोक पुराणिक के हवाले से बताया कि समूचे विश्व में ब्लैक मनी का लेन-देन ज्यादातर बड़े नोटों में होता है। खासकर प्रापर्टी की खरीदारी में। चेक के अलावा जो धन नकद दिया जाता है वह बड़े नोटों में होता है।
नोट बंद करने से दिक्कत
ऐसे फैसलों में सबसे बड़ी मुश्किल यह आती है कि भारत में बड़ा हिस्सा असंगठित है। घर में काम करने वाले लोगों को आम तौर पर एक हजार या पांच सौ रुपए का नोट दिया जाता है लेकिन उनके पास खाता नहीं होता अब ऐसे में वह क्या करेंगे। जिन लोगों के पास बैंक खाता नहीं है उनके लिए यह फैसला पीड़ादायी है।