जेल के बाहर मुख्तार अंसारी अब हाथी की रफ्तार को देंगे हवा, 4 मार्च तक परोल मंजूर
लखनऊ। मुख्तार अंसारी के जेल से बाहर आने पर अब पूर्वांचल की लड़ाई का अलग अंदाज होगा। अंसारी के अलग अलग इलाकों में जाकर खड़े होने भर से मुस्लिम वोटों का रुझान बसपा की ओर बढ़ेगा। जिससे पूर्वांचल के कई जिलों में लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी।
चार मार्च तक पूर्वांचल में प्रचार का जोर होगा। इसी दौरान जब मुख्तार अपने परिवार के साथ अलग अलग इलाकों का दौरा करेंगे तो खासा असर डालेंगे, जिससे पूरब की सियासी लड़ाई खासी रोचक होगी। सीबीआई कोर्ट ने आज ही 17 फरवरी से लेकर 4 मार्च तक परोल मंजूर किया है।
बसपा ने टिकट देने के बाद में सपा से आए नेता को अपने पुराने वफादार की जगह उम्मीदवार बना दिया। खासतौर अंसारी परिवार को टिकट देकर बसपा और सपा के बीच पूरब में मुस्लिम वोटों का जबरदस्त बंटवारा हो गया है। अंसारी परिवार के बसपा में जाने के बाद पहले जो मुस्लिम वोट सीधे सीधे सपा में जा रहा था, वह अब बट कर सपा बसपा दोनों को मिलेगा। वोटों की इस बंदरबांट के चलते अचानक भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की बांछे खिली हुई नजर आ रही हैं।
मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बस्ती, गोरखपुर, बलिया, देवरिया, गाजीपुर इन जिलों में बसपा ने सपा के पुराने बड़े नेताओं को अपने कब्जे में लिया है। जिनमें बलिया से नारद राय आसपास के भूमिहार जाति पर खासा असर रखते हैं। जबकि अम्बिका चौधरी बलिया और आसपास के कई जिलों तक बसपा के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। मगर सबसे बड़े नाम बसपा के कब्जे में जो आये हैं, वह मऊ और अन्य जिलों में मुस्लिमों पर विशेष प्रभाव रखने वाला अंसारी परिवार है। बसपा ने मुख्तार को मऊ से, बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से और भाई सिगबेतुल्लाह मोहम्मदाबाद से टिकट देकर मुकाबले में सपा के मुस्लिम वोट बैंक पर हल्की फुल्की सेंधमारी नहीं बल्कि डकैती ही डाल दी है। अब जबकि मुख्तार अंसारी जेल से बाहर हैं , तब बसपा और आक्रामक प्रचार कर के सपा और भाजपा को झटका देने की कोशिश करेगी। दलित मुस्लिम वोट बैंक का सहारा लेकर पूरब में बसपा के हाथी को बेधड़क चलने का रास्ता मिलने की उम्मीद पूरी है।