मिस्त्री ने लगाया टाटा पर आरोप,चेयरमैन था पर नहीं दिए थे कोई अधिकार

Update: 2016-10-26 22:39 GMT
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के साथ साइरस मिस्त्री। फाइल फोटो

मुंबई (भाषा)। टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से हटाये जाने से आहत साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ कई आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी में उन्हें ‘एक निरीह चेयरमैन' की स्थिति में ढकेल दिया गया था। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में बदलाव से टाटा समूह में कई वैकल्पिक शक्ति केंद्र बन गए थे।

टाटा संस के निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे एक गोपनीय किंतु विस्फोटक ईमेल में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी बात रखने का कोई मौका दिए बिना ही भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के चेयरमैन पद से हटाया गया। मिस्त्री का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई ‘चटपट अंदाज' में की गई। उन्होंने इसे कारपोरेट जगत के इतिहास की अनूठी घटना बताया।

मिस्त्री ने 25 अक्तूबर को लिखे ई-मेल में कहा, ‘‘24 अक्तूबर 2016 को निदेशक मंडल की बैठक में जो कुछ हुआ, वह हतप्रभ करने वाला था और उससे मैं अवाक रह गया। वहां की कार्रवाई के अवैध और कानून के विपरीत होने के बारे में बताने के अलावा, मुझे यह कहना है कि इससे निदेशक मंडल की प्रतिष्ठा में कोई वृद्धि नहीं हुई।'' मीडिया को आज जारी इस ई-मेल में उन्होंने लिखा है, ‘‘अपने चेयरमैन को बिना स्पष्टीकरण और स्वयं के बचाव के लिये कोई अवसर दिये बिना चटपट कार्रवाई में हटाना कारपोरेट इतिहास में अनूठा मामला है।''

मिस्त्री के आरोपों के बारे में टाटा संस से जवाब लेने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी। पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्हें दिसंबर 2012 में जब नियुक्त किया गया था, उन्हें काम करने में आजादी देने का वादा किया गया था लेकिन कंपनी के संविधान में संशोधन तथा टाटा परिवार ट्रस्ट तथा टाटा संस के निदेशक मंडल के बीच संवाद सम्पर्क के नियम बदल दिए गए थे।

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