जयपुर (भाषा)। मशहूर लेखक एवं पत्रकार सईद नकवी ने आज कहा कि विभाजन ने देश की सदियों पुरानी साझी संस्कृति को काफी नुकसान पहुंचाया और उसके परिणाम अब भी महसूस किये जा रहे हैं तथा आज देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए वे लोग ‘‘गुनहगार'' हैं जिन्होंने यह निर्णय लिया था।
उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ही राजनीतिक स्तर पर टकराव सामने आ गया था। नकवी ने कहा, ‘‘भारत का पूरा साझा अनुभव सामाजिक अनुभव है, इसमें राजनीति की वजह से बाधा और बिखराव की स्थिति बनी। वर्ष 1947 के विभाजन ने इस बिखराव के लिए स्थितियां पैदा कीं। ''
उन्होंने कहा, ‘‘आज हम जो देखते हैं, वह उसी फैसले का परिणाम है। हर वह व्यक्ति जो 1947 के विभाजन में शामिल था, बिल्कुल गुनहगार है और इस बात के लिए भी गुनहगार हैं जो आज देश में हो रहा है।'' नकवी यहां चल रहे जयपुर साहित्य उत्सव के एक सत्र में ब्रिटिश पाकिस्तानी उपन्यासकार कैसरा शाहराज, कार्यकर्ता लेखिका सादिया देहलवी ओर लेखक तबीश खैर के साथ परिचर्चा कर रहे थे। नकवी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ संवाद कश्मीर मुद्दे का हल ढूढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है।