संसद बाधित होना यातायात जाम होने की तरह है: जावेद अख्तर  

Update: 2016-11-24 18:22 GMT
जावेद अख्तर लेखक कवि व राज्यसभा के पूर्व सदस्य।

नई दिल्ली (भाषा)। राज्यसभा के पूर्व सदस्य जावेद अख्तर ने कहा कि संसद बाधित होना यातायात जाम होने की तरह है और वहां सांसद गलत दिशा से आगे निकलने की कोशिश करते हैं या यातायात संकेतों को तोड़ते हैं जिसके कारण अराजकता पैदा होती है। उन्होंने सामन्जस्य के साथ काम करने के लिए एकदूसरे पर भरोसा करने या एकदूसरे का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मैं बाईं ओर वाहन चला रहा हूं, आप दाईं ओर चला रहे हैं और यदि आप सज्जन व्यक्ति हैं तो सिग्नल देखने पर आप रूक जाते हैं क्योंकि यदि आप दाईं तरफ वाहन चला रहे हैं, तो या तो आप किसी से टकरा जाएंगे या किसी को टक्कर मार देंगे या आप यातायात बाधित कर देंगे और स्वयं को भी फंसा लेंगे।
जावेद अख्तर लेखक कवि व राज्यसभा के पूर्व सदस्य

ये टिप्पणियां अख्तर ने ‘‘व्हाट आफ्टर मनी एंड फेम'' नाम पुस्तक में की है। इस पुस्तक में लेखिका सोनिया गोलानी ने देश के कुछ दिग्गजों के साथ गहन वार्ता की श्रृंखला के जरिए अच्छे जीवने के पैमाने पर प्रकाश डालने की कोशिश की है।

सोनिया ने अख्तर से पूछा कि संसद में अपने प्रतिनिधियों को चुनने पर नागरिकों को आखिर क्या मिलता है क्योंकि वे देखते हैं कि संसद में काम ही नहीं हो पाता और यह बार-बार बाधित होती है, इसके जवाब में अख्तर ने कहा, ‘‘सही कहा।'' राज्य सभा में अख्तर का कार्यकाल इस साल की शुरुआत में समाप्त हो गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी यातायात जाम होने की तरह हैं, अराजकता की स्थिति है क्योंकि यह कुछ इस तरह है कि संसद में लोग गलत दिशा से आगे निकालने की कोशिश करते हैं और यातायात संकेतों को तोड़ने की कोशिश करते हैं।''

उन्होंने कई अन्य विषयों पर बात भी की, जैसे कि संसद में उनका अनुभव कैसा रहा, पुरस्कार उनके लिए क्या मायने रखते हैं, फिल्मों एवं संगीत पर उनके विचार क्या हैं और कितना धन होना पर्याप्त है।

अख्तर के अलावा सोनिया ने उद्योगपति आदि गोदरेज, वास्तुकार हाफिज कान्ट्रैक्टर, वकील हरीश साल्वे, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और इनफोसिस के सह अध्यक्ष एन आर नारायण मूर्ति से भी बात की। इस पुस्तक का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस ने किया है।

आदि गोदरेज ने सोनिया से कहा कि उनका मकसद कभी धन कमाना नहीं रहा क्योंकि जब वह इस कंपनी से जुड़े थे, उनकी कंपनी तभी अच्छा कारोबार कर रही थी और उन्हें इसे और बढ़ाना था।

भारत में परोपकारी कार्य करने को लेकर एक नकारात्मक बात यह है कि यहां धर्म पर बहुत धन खर्च किया जाता है, जो मेरी राय में बर्बादी है. मेरा मानना है कि जब इसे सुविधाएं मुहैया कराने, शिक्षा जैसे अवसरों या स्वास्थ्य सेवा पर खर्च किया जाता है तो इससे समाज को काफी मदद मिलती है।
आदि गोदरेज बिजनेस मैन (परोपकारी कार्यों पर पूछे जाने पर उनके विचार )

हाफिज कान्ट्रैक्टर ने कहा कि डिजाइनिंग का काम वह सहज ही सीख गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जब छोटा था, तो मैं बाइक, किले, बंदूकें और विमान डिजाइन किया करता था। मैं अच्छा समय व्यतीत करने के लिए ऐसा करता था।'' उन्होंने कहा कि उस समय उन्हें वास्तुकला शब्दावली या नियमांे की जानकारी भी नहीं थी.

हरीश साल्वे ने कहा कि आजकल मीडिया ने राजनीतिक प्रणाली के लिए एजेंडा तय करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत इस समय बहुत नकारात्मक मानसिकता से गुजर रहा है और ‘‘यदि हम जल्द ही यह बात नहीं समझ जाते और इसके बारे में कुछ नहीं करते, तो हमें इसकी महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी।''

जयंत सिन्हा राजनीति को बहुत मुश्किल पेशा मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अलग-अलग तरह की मांगें लेकर आपके पास आते हैं और आप हमेशा मीडिया की नजरों में रहते हैं। अधिकतर लोगों को उचित प्रतिफल नहीं मिलता और अधिकतर समय आप सेवा में रहते हैं जबकि उसी समय आपकी आलोचना भी हो रही होती है।''

नारायणमूर्ति के लिए दिमागी शांति एवं सुकून सर्वाधिक मायने रखता है, उन्होंने कहा कि इसका अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है। हर रात सुकून की नींद सोने वाला और दिन में अधिकतम समय दिमागी शांति के साथ जीने वाला व्यक्ति ही भाग्यशाली है।



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