NDTV इंडिया पर एक दिन के बैन पर घमासान, एडिटर्स गिल्ड ने की निंदा, सियासत भी शुरू

Update: 2016-11-04 14:05 GMT
एनडीटीवी इंडिया का लोगो।

नई दिल्ली । एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन के बैन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के संपादकों के समूह एडिटर्स गिल्ड ने सरकार के प्रतिबंध की निंदा करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। वहीं आप आदमी पार्टी ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हिंदी समाचार चैनल 'एनडीटीवी इंडिया' के प्रसारण पर 24 घंटे की रोक लगा दी है। पठानकोट आतंकवादी हमले की कवरेज में प्रसारण नियमों का उल्लंघन करने पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। एनडीटीवी ने गुरुवार को इस आदेश पर हैरानी जताते हुए कहा कि चैनल की कवरेज पूरी तरह से संतुलित थी। सूत्रों का कहना है कि एनडीटीवी इंडिया से आठ-नौ नवंबर की आधी रात से नौ-10 नवंबर की आधी रात तक प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया है।

पठानकोट एयरबेस पर हमलों के दौरान टीवी चैनलों की कवरेज को लेकर एक उच्च स्तरीय पैनल (अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति) का गठन हुआ था। इस पैनल ने ही एनडीटीवी इंडिया के कवरेज पर आपत्ति जताते हुए इसे एक दिन के लिए ऑफ एयर (प्रसारण बंद) करने की सिफारिश की थी। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल सैन्यअड्डे की कुछ संवेदनशील जानकारियां उजागर की थीं।

एनडीटीवी ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि वह सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। बयान के मुताबिक, "सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश मिला है। यह बेहद चौंकाने वाला है कि एनडीटीवी पर गाज गिराई जा रही है। प्रत्येक चैनल और समाचार पत्र की कवरेज समान ही थी। वास्तव में एनडीटीवी की कवरेज संतुलित थी। " आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों में बांध दिया गया था, उसके बाद एनडीटीवी पर इस तरह की कार्रवाई असाधारण है। इस संबंध में एनडीटीवी सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।"

9 नवंबर को 24 घंटे के लिए प्रसारण बंद करने की सिफारिश

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक मामले में गठित पैनल ने 9 नवंबर को एक दिन के लिए चैनल को ऑफ एयर यानि प्रसारण बंद करने की सिफारिश सरकार से की है। पैनल का मानना है कि चैनल ने ऐसी जानकारी प्रसारित की जिनका इस्तेमाल कर आतंकी और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते थे।

26/11 के दौरान आतंकी हमलों के लाइव पर लगा था प्रतिबंध

इससे पहले 2008 में मुंबई हमले के दौरान जैसे ही ये पता चला था कि पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के हैंडलर न्यूज चैनल देखकर आतंकियों को निर्देश दे रहे थे, सभी चैनलों ने लाइव कवरेज पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से कभी भी किसी आतंकी हमले का लाइव कवरेज नहीं किया गया।

सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना

एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन के बैन की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। सैकड़ों पत्रकारों ने इसे चौथे स्तंभ पर हमला माना है। वहीं कई लोगों ने इसकी तुलना आपातकाल से की है। हालांकि पत्रकारों से इतर कई लोगों ने इसका स्वागत भी किया है।

मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी ने इसे आपातकाल बताते हुए इसकी निंदा की है।

हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब किसी भारतीय चैनल को बैन किया गया है, इससे पहले ''टाइम्स नाओ व इंडिया टीवी'' को भी जनवरी 2014 में ''सैफई'' महोत्सव के भव्य आयोजन करने की आलोचना करने की वजह से ''अनाधिकृत'' रूप से बन कर दिया गया था।

हालांकि इस सन्दर्भ में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया था, मगर केबल ऑपरेटर्स दबे शब्दों में इसमें पदस्थ अधिकारियों का हस्तक्षेप बताते रहे।

एक अन्य मामला है नेपाल में आए भूकंप का ,सितम्बर 29 को जब नेपाल की जनता ने ही भारतीय मीडिया को वहाँ से वापस भेजने के लिए कमर कस ली थी। नेपाल में उस वक़्त भारतीय चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया गया था, क्योंकि भारतीय चैनल वहाँ भूकंप के बाद की स्तिथियों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे थे, जो कि नेपालवासियों को नागवार गुज़रा।

भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग,व पत्रकारिता पर समय समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं मगर एनडीटीवी पर लगे इस बैन को ''इमरजेंसी'' के दौर की याद दिलाता हुआ दिन कहा जा रहा है।

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