नोटबंदी: ग्राहकों को नोट पर इत्र छिड़क कर दे रहे हैं बैंककर्मी

Update: 2016-11-19 17:53 GMT
बैंक से पैसा लेने के लिए लाइन लगाकर खड़े लोग।

नई दिल्ली (आईएएनएस)| सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों की हालत बेहद खस्ता हो गई है। हालात यह है कि कई जगहों पर बैंकों को ग्राहकों के पुराने नोटों को बदलने के लिए 100 रुपए के ऐसे सड़-गले नोट दिए जा रहे हैं, जो न सिर्फ चलन से बाहर हो चुके हैं, बल्कि उन्हें इस्तेमाल लायक बनाने के लिए उनपर इत्र तक छिड़का गया है। दिल्ली में कई ग्राहकों ने शिकायत की है कि उन्हें ऐसे नोट मिले हैं, जो न सिर्फ सड़े-गले हैं, बल्कि उनसे बदबू भी आती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों को 100 रुपए के उन सड़े-गले नोटों को दे रहा है, जो कई वर्षों से संग्रहित थे और उन्हें नष्ट नहीं किया गया था। इन नोटों से बदबू आती है। ग्राहकों को देने से पहले हम उन नोटों पर इत्र और कीटनाशक छिड़क रहे हैं।
बैंक मैनेजर (नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया)

मैनेजर ने कहा कि करोड़ों रुपए के 100 रुपए के नोट ग्राहकों को देने के लिए बैंकों को दिए गए हैं, ताकि नोटबंदी के बाद मांग व आपूर्ति में आई भारी अंतर को पाटा जा सके। बंद किए गए 500 रुपए तथा 1,000 रुपए के नोटों की करेंसी में कुल हिस्सेदारी 86 फीसदी है।

आमतौर पर ऐसे सड़े-गले नोटों को बैंक को वापस कर दिया जाता है, जिसे आरबीआई भेज दिया जाता है, जो इन्हें नष्ट कर देती है।

लेकिन ऐसा लगता है कि आरबीआई ने कई वर्षों से ऐसे नोटों को नष्ट नहीं किया था और जब नकदी का भारी संकट पैदा हुआ है, तो ये नोट आरबीआई के काम आ रहे हैं। नोटबंदी के लगातार 11वां दिन शनिवार को भी नकदी लेने के लिए बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।

नोटबंदी के कारण बेकार हुए लगभग 14.5 लाख करोड़ रुपए को बदलने के लिए 2,000 रुपए तथा 500 रुपए के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी नोटों की कमी निश्चिततौर पर सामने आ रही है।
वित्त मंत्री व आरबीआई का दावा

कुछ लोगों ने नोटों की कमी का कारण इसे ढोने में आ रही समस्याओं, जबकि कुछ देश के चार प्रिटिंग प्रेस की नोट छापने की क्षमता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोगों का कहना है कि मांग व आपूर्ति के बीच आई इस खाई को पाटने में छह से नौ महीने का वक्त लगेगा।


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