सुपरमून आज रात 8 से 10 बजे के बीच देख लें, चूके तो करना पड़ेगा 18 साल का इंतजार

Update: 2016-11-14 17:37 GMT
प्रतीकात्मक फोटो। साभार इंटरनेट।

नई दिल्ली (भाषा)। अगर आपकी दिलचस्पी चांद और तारों में है तो यह कार्तिक पूर्णिमा आपके लिए यादगार साबित हो सकती है। सोमवार को 69 वर्षों में चांद धरती के सबसे करीब होगा। इस घटना को आम बोलचाल की भाषा में ‘सुपर मून' कहा जाता है।

आज यह अपने आकार से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखाई देगा। इससे पहले यह नजारा 1948 में लोगों ने देखा था। अगर आप चांद का यह रूप देखने से आज वंचित रह जाते हैं तो आपको इसके लिए 18 साल तक का लंबा इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि आज के बाद यह 25 नवंबर 2034 को दिखेगा। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है। आज जब चंद्रमा पृथ्वी के निकट होगा तो यह सामान्य से ज्यादा बड़ा और ज्यादा चमकदार दिखेगा।

उत्तरी अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में सोमवार के तड़के ही यह नजारा देखने को मिला जबकि भारत में सोमवार रात को सुपरमून दिखाई देगा। ‘

‘सुपर मून'' शब्द का पहली बार उपयोग खगोलशास्त्री रिचर्ड नोएल ने किया था। साल 1948 के बाद यह पहला मौका है, जब चंद्रमा धरती के सबसे पास से होकर गुजरेगा।

सुपरमून' को देखने को नेहरू तारामंडल ने कुछ दूरबीन स्थापित किए हैं।

साल 1948 के बाद होने वाली सबसे बड़ी खगोलीय घटना ‘सुपरमून’ को देखने की शुरुआत सोमवार रात आठ बजे होगी और इसे रात 10 बजे तक देखा जा सकेगा। इस घटना की पुनरावृत्ति मंगलवार रात भी इसी अवधि में होगी।
एक अधिकारी नेहरू तारामंडल

इसके बाद पृथ्वी के लोग इस तरह के 'सुपरमून' साल 2034 तक नहीं देख पाएंगे।

पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा थोड़ी गोलाई में है, जिसके कारण कभी-कभी यह नजदीक आ जाता है और कभी-कभी काफी दूर हो जाता है। जब पूर्णिमा की रात चांद पृथ्वी के नजदीक से गुजरता है तो इसे 'सुपरमून' कहा जाता है।

नासा के अनुसार, पूर्णिमा की रात चांद का व्यास अधिक नजर आता है, क्योंकि इसकी रोशनी 30 प्रतिशत तक अधिक चमकीली होती है।






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