पाकिस्तान ने दो आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित किया

Update: 2016-11-19 14:39 GMT
बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में हालिया घातक हमलों के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सहयोगी जमात-उल-अहरार और लश्कर-ए-झांगवी अल अलामी को प्रतिबंधित कर दिया है।

इस्लामाबाद (भाषा)। पाकिस्तान ने देशभर में कई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के मद्देनजर तालिबान एवं अलकायदा से जुड़े दो आतंकवादी समूहों को प्रतिबंधित कर दिया है। बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में हालिया घातक हमलों के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सहयोगी जमात-उल-अहरार और लश्कर-ए-झांगवी अल अलामी को प्रतिबंधित कर दिया है। बलूचिस्तान में सूफी दरगाह पर पिछले सप्ताह हुए हमले में 50 से अधिक लोग मारे गए थे।

‘डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन संगठनों को प्रतिबंधित करने का फैसला कुछ दिन पहले ही लिया गया। सिंध के सुरक्षा प्रतिष्ठान में एक शीर्ष अधिकारी ने ‘नेशनल काउंटर टेरेरिज्म अथॉरिटी' की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रतिबंधित समूहों की संशोधित सूची का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘11 नवंबर को सूची में दो संगठनों के नाम जोड़े गए।'' एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि जब यह स्पष्ट हो गया कि ये संगठन हिंसात्मक गतिविधियां रोकने के लिए तैयार नहीं है, उसके बाद सरकार ने उन्हें प्रतिबंधित किया।

सूची में यह भी दर्शाया गया है कि जमात उद दावा को 17 जनवरी 2017 से उन समूहों की सूची में शामिल किया गया है जो ‘‘निगरानी में'' है, जिसका अर्थ यह हुआ कि यदि इस बात के पर्याप्त सबूत मिलते हैं कि वह हिंसा में शामिल था तो इसके दर्जा बदलकर ‘‘प्रतिबंधित'' किया जा सकता है। लश्कर ए तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद दोनों 14 जनवरी 2002 से प्रतिबंधित संगठनों के रुप में सूचीबद्ध हैं।

एक सुन्नी आतंकवादी संगठन एलएजे की जड़ें पंजाब प्रांत में है और उसका बलूचिस्तान, खासकर अल्पसंख्यक शिया समुदाय पर हमले करने का इतिहास रहा है। समूह ने हाल में दावा किया था कि क्वेटा में एक पुलिस प्रशिक्षक केंद्र पर उसके हमले में 61 लोग मारे गए थे जिसमें से अधिकतर युवा कैडेट थे। एलईजे के दो आतंकवादियों को जून में पाकिस्तान के बेहतरीन सूफी कव्वालों में शामिल अजमद साबरी की हत्या के मामले में हाल में गिरफ्तार किया गया था।

जमात उल अहरार ने क्वेटा के सिविल अस्पताल में अगस्त में हुए एक आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में कम से कम 75 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें अधिकतर वकील थे। इस हमले में 115 अन्य लोग घायल हुए थे।

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