दिग्विजय का आरोप, गोवा की राज्यपाल को हमनेे सरकार बनाने के लिए पत्र दिया फिर भी हमें रविवार को नहीं बुलाया  

Update: 2017-03-14 14:16 GMT
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह।

पणजी (भाषा)। कांग्रेस ने आज आरोप लगाया है कि पार्टी ने रविवार को दावा पेश करने के लिए समय मांगते हुए गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा को रविवार को एक पत्र दिया था लेकिन उन्होंने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बुलाया ही नहीं।

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एआईसीसी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने गोवा कांग्रेस विधायक दल की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम 12 मार्च को ही दावा पेश करना चाहते थे लेकिन तब भी उन्होंने (राज्यपाल ने) हमें मिलने का समय नहीं दिया।'' पार्टी के विधायक आज दोपहर को एक बार फिर राज्यपाल से मिलेंगे और दावा करेंगे कि उनके पास सरकार गठन के लिए उचित संख्या बल है।

स्थापित सिद्धांत और संविधान के बावजूद राज्यपाल ने हमें सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाया बल्कि दूसरे सबसे बड़े दल (भाजपा) को मौका दे दिया।
दिग्विजय सिंह महासचिव एआईसीसी

मृदुला सिन्हा पहले ही भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को सरकार बनाने का न्यौता दे चुकी हैं, इस गठबंधन का नेतृत्व मनोहर पर्रिकर कर रहे हैं. शपथ ग्रहण आज शाम को होना है।

गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 17, भाजपा के पास 13, गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के पास तीन-तीन सीटें हैं. राकांपा के पास एक सीट है और तीन निर्दलीय विधायक हैं।

कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने बैठक के बाद कहा था, ‘‘हम राज्यपाल को बताएंगे कि हमारे पास सरकार गठन के लिए जरूरी संख्या बल है. यदि हमें अनुमति दी जाती है तो हम सदन में अपना बहुमत साबित कर सकते हैं।''

कांग्रेस ने कल रात को राज्यपाल के समक्ष अभ्यावेदन देते हुए उनसे कहा था कि वह गोवा में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी को आमंत्रित करें।

भाजपा को जनादेश नहीं पर पैदा कर रहा है भ्रम

कावलेकर ने कहा ‘‘हमारे राजनीतिक विरोधी (भाजपा) लोगों से जनादेश न मिलने के बावजूद यह भ्रम पैदा करने की कोशिश में हैं कि उनके पास विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है. यह अत्यंत निचले स्तर का अवसरवाद है और संविधान में इसकी अनुमति नहीं है।''

अभ्यावेदन में कहा गया है, ‘‘सरकार बनाने का आमंत्रण हासिल करने के लिए किसी भी तरह का चुनाव पश्चात गठबंधन दिखाना (जैसा कि भाजपा कर रही है) लोगों के उस जनादेश की हार होगी जिसमें भाजपा की तत्कालीन सरकार को स्पष्ट रुप से खारिज कर दिया गया है।''

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