निजी इकाइयों से शोधित जल खरीदकर रेलवे करेगा करोड़ों रुपए की बचत 

Update: 2017-03-19 16:18 GMT
मंत्रालय ने निजी कंपनियों से शोधित जल खरीदने की रुपरेखा तैयार की है।

नई दिल्ली (भाषा)। रेलवे के पानी बिल में कमी लाने और सालाना 400 करोड़ रुपए तक बचाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने एक योजना बनाई गई है। इसके तहत मंत्रालय ने निजी कंपनियों से शोधित जल खरीदने की रुपरेखा तैयार की है।

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कीमती संसाधन की बचत और उसकी खपत में कमी लाने के मकसद से रेलवे जलशोधन संयंत्रों से शोधित जल के व्यापक उपयोग के लिए अपनी जल नीति की घोषणा करेगा। यह पानी पीने को छोड़कर बाकी दूसरे कामों में उपयोग किया जाएगा। यह पहला मौका है जब रेलवे इस तरह की नीति ला रहा है। भारतीय रेलवे द्वारा जल नीति 22 मार्च (विश्व पानी दिवस) के मौके पर पेश किए जाने की उम्मीद है। सभी रेलवे ज़ोन में पानी के उपयोग के बारे में आगे की रणनीति का ब्योरा किया जाएगा। इसमें रेलवे कॉलोनी, अस्पताल, कारखाने, वर्कशॉप और प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं।

मंत्रालय की ओर से बनाई गई इस नीति का मकसद पानी की खपत में कमी लाना है। इसके साथ ही पुनर्चक्रित जल के उपयोग को बढ़ाना है। फिलहाल रेलवे दूसरे राज्यों से पानी खरीदता है। इस पानी की खरीद का बिल सालाना लगभग 4,000 करोड़ रपए है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “जल नीति में जल शोधन संयंत्रों से दो पैसे प्रति लीटर की दर से शोधित जल खरीदने पर जोर दिया है। फिलहाल हम सात पैसे प्रति लीटर जल खरीदते हैं।''

नीति में निजी इकाइयों की भागीदारी के साथ जल शोधन संयंत्र स्थापित करने के बारे में भी विस्तृत रुपरेखा है। इससे पर्याप्त मात्रा में शोधित जल लिया जा सकता है। निजी इकाइयों को ऐसे संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही इन इकाइयों से शोधित जल खरीदना तय किया जाएगा। नीति में भूमिगत जल के संचयन और रेलवे की जमीन सूखे तालाब को फिर से जीवित करने पर भी जोर दिया गया है।

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