असंगठित रीयल एस्टेट बाजार को 1000 करोड़ का झटका

Update: 2016-11-09 21:51 GMT
रीयल एस्टेट पर बुरा असर पड़ेगा।

लखनऊ। रीयल एस्टेट सेक्टर के संगठित क्षेत्र में 500 और 1000 के पुराने नोटों के बंद होने का प्रभाव बहुत कम पड़ेगा। मगर अवैध हाउसिंग सोसाइटी और अपार्टमेंट का धंधा काले धन के इस्तेमाल के चलते मटियामेट होगा। बड़ी कंपनियों से ज्यादा प्रापर्टी डीलरों और मकानों को व्यक्तिगत तौर पर बेच कर फायदा कमाने वालों को सबसे अधिक नुकसान होगा।

दरअसल रीयल एस्टेट में असंगठित क्षेत्र काले धन से भरा हुआ है। 60 फीसदी तक का कारोबार काले धन से किया जा रहा है। ऐसे में अब पुराने नोट बंद होने से इस कारोबार को अकेली राजधानी में करीब 1000 करोड़ रुपये का झटका लगा है। जिसमें निवेशक और कंपनियां दोनों ही शामिल हैं। जबकि बड़ी कंपनियों को इससे अधिक असर नहीं पड़ेगा। इन कंपनियों का अधिकांश यूनिट्स बैंक लोन पर ही आधारित है। जो कि इलेक्ट्रानिक माध्यम से खरीदे बेचे जाते हैं। इस वजह से इनके धंधे पर फिलहाल 10 से 20 फीसदी का कुछ असर जरूर पड़ा है मगर भविष्य में ये असर और भी कम होगा। इस तरह से यहां भी प्रापर्टी का काला कारोबार करने वालों पर ही नरेंद्र मोदी के तेवरों की गाज गिरी है।

दो तरह का है कारोबार

लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश में दो तरह का रीयल एस्टेट कारोबार चल रहा है। जिसमें एक ओर तो लगभग दो दर्जन निजी कंपनियां हैं। जबकि सरकारी स्तर एलडीए, लीडा और आवास विकास परिषद आवासीय क्षेत्र में काम कर रहे हैं। मगर सैकड़ों की संख्या में कंपनियां अवैध धंधे चला रही हैं। रीयल एस्टेट सेक्टर में काम कर रही ये कंपनियां खेतों में प्लाटिंग करती हैं। अवैध अपार्टमेंट का निर्माण करती हैं। जिनमें सारे कायदे ताक पर होते हैं। सर्किल रेट पर धंधा कागज पर होता है। जबकि काला धन नगद में लिया जाता है। आमतौर से 50 से 60 फीसदी का धंधा काले धन होता है। रीयल एस्टेट बाजार में एक तीसरा तरीका प्रापर्टी डीलर के जरिये अपना व्यक्तिगत माल बेचने का भी है। इसमें भी अच्छा खासा काला धन जुड़ा होता है।

संगठित क्षेत्र को नुकसान कम

रीयल एस्टेट विशेषज्ञ अंकित गर्ग बताते हैं कि संगठित क्षेत्र को बस तात्कालिक नुकसान हो रहा है। उनके पास में फिलहाल कुछ समय तक ग्राहकों का टोटा हो सकता है। मगर संगठित क्षेत्र में धंधा चौपट नहीं हो सकता है। दरअसल उनके पास में 90 फीसदी ग्राहक लोन वाले हैं। इसके अलावा ब्लैक मनी का जुड़ाव भी यहां बहुत कम है। मगर जो असंठित क्षेत्र है, उसमें सबसे अधिक दिक्कतें होंगी। एलडीए की जनसंपर्क अधिकारी भावना सिंह बताती हैं कि प्राधिकरण की ओर से समय समय पर ये कहा जाता है कि अवैध निर्माण और प्लाटिंग में लोग निवेश न करें। मगर लोग नहीं मानते हैं। सस्ते के लालच में और काला धन खपाने वहां जाते हैं। इस वजह से इस सेक्टर में निवेशकों का करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान केवल लखनऊ में हो रहा है।

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