सौर उर्जा: देश में हरित उर्जा को लेकर गतिविधियां बढ़ी, 2017 में आयेगी तेजी
नई दिल्ली (भाषा)। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच वर्ष 2016 में हरित उर्जा की तरफ विशेष ध्यान रहा। सरकार ने 2022 तक 175,000 मेगावाट हरित उर्जा हासिल करने का लक्ष्य रखा है। नये वर्ष में इस दिशा में गतिविधियां और तेज होने की उम्मीद है।
हरित उर्जा यानी सौर उर्जा, पवन उर्जा के क्षेत्र में तय लक्ष्य को हासिल करने के लिये सरकार ने छतों पर लगने वाले सौर उर्जा संयंत्रों से 1,000 मेगावाट उर्जा के लिये नीलामी करने और सोलर पाकोंर् के लिये 13,000 करोड़ रुपये निवेश करने के साथ साथ सौर पैनलों के स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये 21,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है।
बहरहाल, वर्ष 2016 हरित उर्जा के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। इस साल सौर उर्जा की दरें 4 रुपये प्रति यूनिट तक नीचे आ गई। दूसरी तरफ इस दौरान पवन उर्जा परियोजनाओं को भी काफी बढ़ावा मिला। सरकार ने वर्ष 2022 तक भारत को हरित उर्जा परियोजनाओं का बडा केंद्र बनाने की दिशा में नये साल के लिये पूरी तैयारी की है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने अक्षय उर्जा क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
छत पर लगने वाली सौर परियोजना को बढ़ावा दिया जायेगा। घरेलू स्तर पर सौर पैनलों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और परियोजना स्थल की नीलामी कर पवन उर्जा को नीलामी के जरिये वहनीय बनाया जायेगा। ये सभी कदम 2017 में उठाये जायेंगे।पीयूष गोयल, केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्री
नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय हरित उर्जा क्षेत्र में 1,00,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद कर रहा है और वर्ष 2017-18 के दौरान क्षेत्र से 20,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन की उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा है। सरकार ने सब्सिडी के साथ भवनों की छत पर सौर उर्जा पैनल लगाने की शुरआत की है। वर्ष 2016 में घरों, स्कूलों और अस्पतालों की छतों पर सौर पैनल लगाने की शुरआत की गई और आने वाले समय में सरकार का इरादा सरकारी भवनों की छत पर सौर पैनल लगाकर हरित उर्जा क्षेत्र को आगे ले जाने का है।
नवंबर में छतों पर सौर पैनल के जरिये 500 मेगावाट सौर उर्जा के लिये नीलामी की गई। इसके लिये 122 डेवलपर्स 432.7 मेगावाट सौर उर्जा के लिये आगे आये। अब 1,000 मेगावाट के लिये नई निविदायें लाने का काम जारी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में केवल सौर उर्जा के जरिये ही 1,00,000 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें छत पर लगाने वाली सौर परियोजनाओं की क्षमता 2016 में 1,000 मेगावाट तक पहुंच गई और ऐसी परियोजनाओं की क्षमता को 40,000 मेगावाट तक ले जाने का है।
सरकार का इरादा इसके साथ ही 21 राज्यों में स्थित 34 सौर पैनलों के जरिये 2,000 मेगावाट हरित उर्जा के पारेषण के लिये ‘हरित गलियारा' बनाने का भी है।
घरेलू स्तर पर सौर पैनलों के विनिर्माण को बढ़ावा दिया जायेगा। इससे संबंधित योजना 2017 में वास्तविकता में बदल जायेगी। उन्होंने कहा कि 21,000 करोड़ रुपये की योजना का उद्देश्य 2019 तक 5,000 मेगावाट की फोटोवोल्टिक विनिर्माण क्षमता को तैयार करना है। वर्ष 2026 तक इसे 20,000 मेगावाट तक पहुंचाया जायेगा। देश में अक्षय उर्जा उत्पादन क्षमता वर्तमान में 45,000 मेगावाट तक है।पीयूष गोयल, केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्री
गोयल के अनुसार परियोजना स्थलों की पारदर्शी तरीके से सफल नीलामी करने के बाद सौर उर्जा दरों में आई कमी के बाद अगला चरण पवन उर्जा क्षेत्र का होगा। उन्होंने कहा कि देश में 2030 तक परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहन आधारित बनाने के लिये योजना तैयार की जा रही है। इसके लिये उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई।
वर्ष 2017-18 के दौरान सरकार अक्षय उर्जा स्रोतों से 20,450 मेगावाट बिजली उत्पादन पर नजरें लगाये हुये हैं। इसमें 15,000 मेगावाट सौर उर्जा से, 4,600 मेगावाट पवन उर्जा से, 750 मेगावाट बायोमास से और 100 मेगावाट लघु जलविद्युत परियोजनाओं से जुटाया जायेगा। वर्ष 2016-17 में अक्तूबर अंत तक कुल मिलाकर 1,502 मेगावाट हरित उर्जा क्षमता जुटाई गई जिसे मिलाकर 28,279 मेगावाट बिजली अक्षय उर्जा से जुटा ली गई है।