श्रीलंका के नए संविधान का विरोध करेंगे राजपक्षे    

Update: 2017-01-28 16:29 GMT
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे।

कोलंबो (भाषा)। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे ने देश के मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन पर आरोप लगाया है कि वह तमिल अल्पसंख्यक समुदाय से सत्ता में उनकी भागीदारी का वादा करके तुष्टिकरण की कोशिश कर रहे हैं। राजपक्षे ने कहा है कि वह नए संविधान की ‘धोखाधड़ी का विरोध करेंगे। राजपक्षे कल यहां एक सार्वजनिक रैली को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हम नए संविधान की धोखाधड़ी का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि रैली में उमड़ा जनसमूह इस बात की गवाही दे रहा है कि लोग नया संविधान नहीं चाहते हैं। राजपक्षे ने कहा कि नए संविधान का उद्देश्य तमिल अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करना है।

लिट्टे की 2009 में हुई सैन्य हार का जिक्र करते हुए राजपक्षे ने कहा, ‘‘हमें अपनी जीत की रक्षा करनी होगी।'' उन्होंने कहा कि सिरिसेन सरकार नए संविधान के माध्यम से तमिल अलगाववाद पर हासिल हुई जीत के साथ विश्वासघात करेगी।

नया संविधान 1978 में लागू हुए पुराने संविधान की जगह लेगा। वहीं सरकार को आशा है कि नया संविधान तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक मान्यता की मांग का हल निकालेगा। लिट्टे की 2009 में हुई हार के बाद तमिल समूहों ने उसके अलग तमिल देश बनाने के लक्ष्य का विरोध करके सत्ता में भागीदारी की मांग की थी।


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