सुप्रीम कोर्ट ने लगाई राज्य सरकारों को लगाई फटकार, कहा यहां पंचायत चल रही है क्या?

Update: 2017-01-16 14:55 GMT
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कई राज्यों के परिवहन सचिवों को वाहनों पर स्पीड गर्वनर न लगाने को लेकर समन भेजा है।

नई दिल्ली। एक रिपोर्ट के मुताबिक दस राज्यों की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सड़क सुरक्षा नियमों को लागू नहीं करवाया है। इसी के साथ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कई राज्यों के परिवहन सचिवों को वाहनों पर स्पीड गर्वनर न लगाने को लेकर समन भेजा है। सड़क सुरक्षा पर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों की सरकारें उसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या हम कोई पंचायत कर रहे हैं जो राज्य सरकारें गंभीर नहीं होतीं? बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में वाहनों पर स्पीड गर्वनर लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सभी राज्यों से जवाब मांगे थे लेकिन दस राज्यों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इन प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, असम, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल है। प्रदेशों के इस व्यवहार पर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम पंचायत कर रहे हैं? प्रदेश सरकारें सुप्रीम कोर्ट के नियमों को क्या हास्यापद मानती हैं? इस मामले पर इस पर अगली सुनवाई चार हफ्तों बाद होगी।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की खंडपीठ ने दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों के परिवहन सचिवों से यह भी कहा कि वे जनहित याचिका की अगली सुनवाई पर संबंधित रिकॉर्ड के साथ उसके समक्ष उपस्थित हों।

पीठ ने कहा कि जिन राज्यों को नोटिस दिया गया है वे इस मामले पर अपने जवाब दाखिल नहीं कर रहे हैं।

नेशनल क्राइम ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक 2014 में 36.8 प्रतिशत सड़क दुर्घटना वाहनों की तेज गति से वजह से हुई। इसी के साथ कर्मशियल वाहनों की हाइवे पर स्पीड से होने वाली दुर्घटना में 40-45 फीसदी इजाफा हुआ है।

यह पीठ सरकारी परिवहन वाहनों में गति नियंत्रक लगाने के मुद्दे पर गैर सरकारी संगठन ‘सुरक्षा फाउंडेशन' की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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