मोहल्ले का संदिग्ध कहीं आतंकी तो नहीं

Update: 2017-03-10 11:23 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

ऋ षि मिश्र

लखनऊ। एटीएस ने जिस आतंकी को लखनऊ में मार गिराया उसके बारे में उसी हाजी कॉलोनी में रहने वाली नूरीना ने कहा, “कौन, ये दुबला-तला लड़का आतंकवादी था। किसी से तो ज्यादा बात नहीं करता था।”

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

नूरीना के ये शब्द काफी बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। हम अपने आसपास रहने वाले लोगों की संदिग्ध गतिविधियों को हमेशा ही नजरअंदाज करते हैं। हमारे आस-पास के इलाकों में आतंकी आसानी से अड्डा बना लेने हैं, और किसी को भनक तक नहीं लगती। यूपी पुलिस का कहना है कि इनको पहचान लेना कोई मुश्किल काम नहीं है। इस वजह से आतंकी केवल इंटेलीजेंस इनपुट पर ही पकड़े जाते हैं, स्थानीय लोगों की मदद से नहीं।”

इस बारे में राज्य के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि “हमारे प्रदेश में लोग पड़ोसियों पर बेकार बातों में तो ध्यान रखते हैं, मगर उनकी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर नहीं होती है। इस वजह से आतंकी केवल इंटेलीजेंस इनपुट पर ही पकड़े जाते हैं,स्थानीय लोगों की मदद से नहीं।” ठाकुरगंज में डेरा जमाए सैफुल्ला की दिनचर्या उसके कमरे की दीवार पर चस्पा थी। जिसमें लिखा था कि सुबह चार बजे उठकर पहले वो तहज्जुद पढता था। फिर फ़ज्र कि नमाज़, फिर कसरत करता था। फिर नौ बजे कुरान की तिलावत के बाद खाना बनाता था। 12:30 बजे में ज़ुहर की नमाज़ के बाद खाना खा के कैलूला (दोपहर में सोना) करता था। शाम चार बजे उठ कर अस्र की नमाज़ करता था। उसके बाद कुरान की तफसीर और हदीस पढना उसका काम था। फिर छह बजे मगरिब की नमाज़ और फिर 8:30 पर इशा की नमाज़ के बाद धर्मशास्त्र पढना उसका काम था। फिर खाना खा के सो जाना था। इस बीच में वह अपने संगठन के लिए काम किया करता था।

इन गतिविधियों पर दें ध्यान

राज्य के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि आप देखेंगे कि ऐसे संदिग्ध के कपड़ों की पसंद मौसम से मेल नहीं खाती है। जैसे गर्मी में गर्म और जाड़े में हल्के कपड़े पहने। बीच-बीच में अनजाने लोग उससे मिलने के लिए आएं, जिनके पास कुछ बैग वगैरह हों। वह आगे बताते हैं कि एक अजनबी चेहरा जो अचानक आपके इलाके में आकर रहने लगा हो। किसी से बात न करता हो। ज्यादातर समय घर में ही रहता हो, मगर जब जाता हो तो कई-कई दिन तक गायब रहता हो। बिना कोई काम किये दुकानों पर जाता हो तो बिना मोलतोल के महंगे खाद्य पदार्थ खरीदता हो। कद काठी में आपके प्रदेश का न लगे, आंखें भूरे या नीले रंग की हों। इन सारी बातों पर ध्यान रखे जाने की जरूरत है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News