इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चे टीवी देखकर करते हैं पढ़ाई

Update: 2016-11-19 20:50 GMT
इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चे टीवी को देखकर पढ़ते हैं।

शाहजहांपुर।अक्सर ये सुनने में आता है कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर नहीं सुधर पा रहा है, लेकिन इस लीक से हटकर शाहजहांपुर जिले के अकर्रा रासुलपुर गाँव में स्थित प्राथमिक विधालय ने एक मिसाल कायम की है। शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर ददरौल ब्लाक के अकर्रा रासुलपुर गाँव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में तीन वर्षीय राहुल यादव को ब्लैकबोर्ड की बजाय टीवी देखकर पढ़ाई करना ज्यादा अच्छा लगता है क्योंकि इससे उसको सब समझ आता है।

एक नहीं, बल्कि 300 बच्चे ऐसे करते हैं पढ़ाई

केवल राहुल को ही नहीं, बल्कि 300 बच्चों को कान्वेंट जैसी पढ़ाई कराई जा रही है। और यह काम कोई नेता नहीं, बल्कि उसी स्कूल के प्रधानाद्यापक मुदित किशोर सेठ कर रहे हैं। मुदित किशोर को वर्ष 2007 में अकर्रा रसूलपुर प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें प्रमोशन देकर प्रधानाध्यापक बना दिया गया। मुदित के आने से पहले यह प्राथमिक विद्यालय भी जिले के दूसरे प्राइमरी स्कूलों जैसा था। विद्यालय का कायाकल्प करने का प्रयास शुरू किया और आज इस प्रयास में वह सफल भी है।मुदित बताते हैं," स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि दिनचर्या, आचरण और गुणो के बारे में भी बताया जाता है।"

मिड-डे मील का रखा जाता है खास ध्यान

मिड-डे मील की गुणवत्ता पर खास जोर दिया जाता है। विद्यालय में पांच रसोइया महिलाएं एप्रीन पहनकर ही भोजन तैयार करती हैं। भोजन बनाने में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रधानाध्यापक मुदित सेठ बताते हैं, "मिड-डे मील के मीनू को रसोई भंडार के बाहर दीवार पर लिखा दिया गया है। बच्चों उस मीनू के आधार पर ही खाना दिया जाता है।"

स्मारिका प्रकाशित कराने वाला पहला स्कूल

मुदित सेठ बताते हैं," 25वीं वर्षगांठ के मौके पर 2012 में कच्ची मिट्टी नाम से स्मारिका की पांच सौ प्रतियां प्रकाशित करायी गयी थी। स्मारिका प्रकाशित कराने वाला यह प्रदेश का इकलौता विद्यालय है।"

यूनिफार्म पर भी दिया जाता है ध्यान

प्रधानाध्यापक मुदित बताते हैं," स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे की यूनिफार्म पर भी ध्यान दिया जाता है कि वो ठीक से स्कूल ड्रेस में आ रहे है या नहीं। विद्यार्थी की बेल्ट पर स्कूल नाम भी लिखा है।"

अमर शहीदों के लिखवाये नाम

हर क्लास की बाहरी दीवारों पर पाठ्यक्रम में शामिल कविताएं लिखवा दी और शाहजहांपुर के अमर शहीदों के नाम। ताकि कमरों से बाहर निकलने के बाद भी विद्यार्थी इन्हें पढ़ सके।

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