लखनऊ में भी छा गई दिल्ली वाली धुंध

Update: 2016-11-06 21:00 GMT
गोमतीनगर में सुबह 8 से 10 बजे के बीच कुछ इस तरह आसमां पर दिखाई दी धुंध।

लखनऊ। दिल्ली में मुसीबतों का सबब बन चुकी धुंध की चादर लखनऊ के आसमान पर छा गई है। शनिवार की शाम से शुरू हुआ धुंध का सिलसिला रविवार की शाम तक बना रहा। मौसम विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली में पटाखों और पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेष के धुएं का असर जो दिल्ली में है, उसका आशिंक प्रभाव अब लखनऊ में भी नजर आने लगा है। दो तीन दिन तक ये धुंध बनी रहने की संभावना है।

इसलिए बना चर्चा का विषय

शहर के आसमान पर रविवार को सुबह से दोपहर तक छायी रही धुंध शहरवासियों के लिए चर्चा और घबराहट की वजह बन गयी। पहली नजर में इस धुंध को कोहरा समझने वालों को यह जानकारी होने के बाद कि यह कोहरा नहीं धुआं है, लोगों में घबराहट शुरू हो गयी। घबराहट की वजह रही पिछले दिनों दिल्ली के आसमान पर छाया वह धुआं जो पड़ोसी राज्यों में जलाये जाने वाले पराली के कारण उठा और दिल्लीवासियों के लिए परेशानी का सबब बन गया।

दो-तीन दिन में धुआं छटने की उम्मीद

इस संबंध में मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक जे.पी. गुप्ता ने बताया कि दिवाली के अवसर पर फोड़े गये पटाखे का धुआं और पड़ोसी राज्यों में जलाये जाने वाले पराली के कारण उठ रहा धुआं ही आसमान में मौजूद इस धुंध की वजह है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण युक्त यह धुआं जमीन से मात्र 40-45 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है इसलिए यह सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि दो-तीन दिनों में यह धुआं गायब हो जायेगा।

हरियाणा और पंजाब का यहां तक असर

धान की फसल काटने के बाद हरियाणा-पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान रबी की दूसरी फसल उगाने के लिए धान की ठूंठें और पराली खेत में जला रहे हैं। फसल के अवशेष जलाने से पैदा हुआ यहा धुआं कई राज्यों में पहुंच रहा है। ऐसे में लोगों को सांस की दिक्कत शुरू हो गयी है। इस संबंध में दिल्ली के आसमान में मौजूद इस धुंए के चलते सरकार द्वारा इससे बचने की चेतावनी भी जारी की गयी है। इसी वजह से लखनऊवासियों में भी यह धुआं घबराहट और चर्चा का विषय बन गया।

लोगों के मन में रहीं आशंकाएं

शहर के आसमान में घनी धुंध को देखकर शहरवासियों में आज घबराहट पैदा हो गयी। जाड़े के दिनों में आमतौर पर आसमान में कोहरा देखने वाले लोगों को पहले तो यह आभास हुआ कि नवंबर महीने के शुरु में ही कोहरे की शुरुआत हो गयी है। लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते जब धुंध कम नहीं हुई और सांस रोगियों को इससे परेशानी होने लगी तब लोगों में घबराहट शुरु हुई और लोगों ने घरों में रहना उचित समझा। शहर के आसामान पर उठ रहे धुंध की चर्चा सुबह से रात तक आम रही और लोगों ने एक-दूसरे को फोन पर भी इसके बारे में जानकारी दी।

अभिभावकों के मन में चिंताएं

धुंध के चलते उन अभिभावकों के चेहरों पर भी घबराहट देखी गयी जिनके बच्चों को सोमवार से स्कूल जाना है। सीएमएस में कक्षा एक में पढ़ने वाली छात्रा की माँ संगीता सक्सेना ने कहा कि मुझे अपनी बच्ची को स्कूल भेजने में घबराहट हो रही है। कल यदि आसमान में यह धुआं नजर आया तो मैँ अपनी बच्ची को स्कूल नहीं भेजूंगी। आरएलबी स्कूल के संस्थापक जयपाल सिंह ने कहा कि अभी ऐसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं जिसको संकट कहा जाये। यदि परेशानी और बढ़ी तो स्कूल में छुट्टी करने के बारे में सोचा जायेगा। उन्होंने कहा कि वैसे देखा जाये तो बच्चे घर से ज्यादा स्कूलों में सुरक्षित हैं क्योंकि वह कक्षा में बैठकर पढ़ाई करते हैं। घरों में रोकने के बाद भी बच्चे एक जगह पर रुकते नहीं हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बच्चे घर पर ही रहने में सुरक्षित हैं, स्कूल में नहीं। वहीं सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज के निदेशक अनिल अग्रवाल ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा पहले है। अभी हालात सामान्य हैं इसलिए चिन्ता नहीं है। फिलहाल हम लोग यह नोटिस जारी करेंगे कि बच्चे स्कूल में मास्क लगाकर आयें। यदि स्थिति नहीं सुधरती है तो स्कूल में छुट्टी करने के बारे में सोचा जायेगा।

अस्थमा के मरीजों को रखना होगा विशेष ख्याल

आसमान में दिखायी दे रहे धुएं के चलते एक ओर जहां अभिभावक परेशान हैं तो वहीं अस्थमा के मरीज भी बेहद चिंतित हैं जिनको सांस लेने में परेशानी होने लगी है।

डाक्टरों को ऐसा मानना है कि यदि यह धुंध ज्यादा दिनों तक छायी रही तो लोगो में कैंसर जैसी घातक बीमारी पैदा कर सकती है। इसके साथ ही सांस के मरीजों को भी इससे काफी दिक्कत हो सकती है और आखों में जलन और लाली की शिकायत हो सकती है। ऐसे में यदि डाक्टर की सलाह नहीं ली गयी और लापरवाही बरती गयी तो यह धुंध लोगों की आंखो की रोशनी भी छीन सकती है।

अगर है आंखों में जलन तो...

केजीएमयू नेत्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अरून कुमार ने बताया दिवाली के बाद से आंखों में जलन के पेशेंट बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण स्मॉग है। यदि लोग इस जलन की अनदेखा करते हैं तो यह समस्या बढ़ेगी और एलर्जी का रूप ले लेगी। रोज पांच से छह मरीज आंखों के जलन के आ रहे हैं। इन्हें एंटी एलर्जिक दवाई दी जा रही है। इसके अलावा आंखों में जलन होने पर बर्फ और ठंडे पानी से सिकाई करनी चाहिए। वहीं बाहर जाते समय आंखों पर काला चश्मा लगाना चाहिए और बॉडी को ढककर चलना चाहिए। इसके बावजूद यदि जलन नहीं रुक रही हो तो आई स्पेशलिस्ट को दिखाएं।

मरीजों की बढ़ी है संख्या

उन्होंने कहा कि यह धुआं सुबह के समय सबसे अधिक होता है। इस दौरान ही बच्चों को स्कूल जाना होता है। ऐसे में यह बच्चों को बीमार कर सकता है। राजधानी के छोटे-बड़े हॉस्पिटलों का अनुमान लगाएं तो बीपी और अस्थमा के 100-150 के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार आंखों के 30 से 40 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। बच्चों में सबसे ज्यादा सांस संबंधी परेशानी हो रही है। रोज करीब 10 नए बच्चे सांस संबंधी समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा रोज में 50-55 बच्चे इलाज के लिए हॉस्पिटलों के चक्कर काट रहे हैं। 10-15 मरीज सांस संबंधी और बेचैनी की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं।

जानिए क्या पड़ सकता है प्रभाव

डा. सूर्यकांत, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय ने कहा कि दिवाली के पहले से ऐसे बच्चे इलाज के लिए रहे हैं, जिन्हें सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है। ऐसे बच्चों को इस धुंध के समय बहुत एहतियात बरतने की जरूरत है। वहीं उन वयस्क लोगों को भी बहुत सावधानी से रहना होगा जिनको खासीं की शिकायत है। उन्होंने कहा कि धुएं में पाये जाना वाला तत्व पोटैशियम परकोलेट, आपकी थायराइड ग्रन्थि को प्रभावित कर सकता है। दरअसल यह रसायन, थायराइड ग्रन्थि द्वारा आयेडीन ग्रहण करने की क्षमता में कमी लाता है जोकि अन्ततः हाइपोथाइराडिज्म के रूप में परिलक्षित होती है। एक अन्य हानिकारक पदार्थ स्ट्रोन्सियम जन्म-जात विकृति, रक्ताल्पता और अस्थिमज्जा में नुकसान का सबब बन सकता है। खासतौर पर बच्चों की अस्थिमज्जा में प्रवेश कर स्ट्रान्सियम उनकी बढ़वार रोक सकता है। आतिशबाजी से इस धुंध में उत्पन्न डाइआक्सिन एक जाना पहचाना कैन्सर कारक पदार्थ है। यह हार्मोन असंतुलन पैदा करने के साथ-साथ ग्लूकोज की मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी व त्वचा पर घाव जैसे दुष्प्रभाव भी डाल सकता है।

धुंध के चलते ट्रेनें और बसें भी हुईं लेट

आसमान में छायी धुंध का असर रेल व्यवस्था पर भी रहा। कई ट्रेनों के कई-कई घंटों तक लेट होने के कारण चारबाग रेलवे स्टेशन पर यात्री पूरे दिन परेशान रहे। किसी की ट्रेन छूटी तो किसी को लम्बा इन्तजार करना पड़ा। धुंध के चलते आम दिनों में चलने वाली ट्रेनें अपने निर्धारित समय से 23 घंटे तक देरी से आयीं। इसके चलते स्टेशन पर भीड़ बढ़ती गई और अव्यवस्था का आलम बन गया। रविवार को 6 ट्रेनें लेट रहीं। इन गाड़ियों में सद्भावना एक्सप्रेस 17 घंटे लेट, पंजाब मेल 23 घंटे लेट, वही कुम्भ और उपासना 5 से 7 घंटे लेट रहीं। कुछ गाड़ियां एक और दो दिनों की देरी से भी चल रही हैं। बालामऊ के कमलेश ने बताया कि सुबह से ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। बताया जा रहा है कि ट्रेन कई घंटे लेट है क्योंकि आसमान में धुंध छायी हुई है। वहीं चारबाग, आलमबाग और कैसरबाग बस स्टेशन पर भी यात्री बसों की लेट-लतीफी से परेशान दिखे। सुल्तानपुर जाने वाले प्रदीप ने बताया कि सुबह 6 बजे से बस का इंतजार कर रहा था जो अपने समय से लगभग 5 घंटे देरी से लखनऊ स्टेशन पहुंची जिसके चलते काफी परेशानी हुई है। उन्होंने कहा कि जिस से भी बात करो हर यात्री यही कह रहा है कि धुंध के कारण ही बसें लेट हो रही हैं।

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