कालेधन पर इस तरह चोट करेगी 500-1000 के नोट बंद करने की योजना

Update: 2016-11-09 17:17 GMT
बच्चों की गुल्लक में भी शामिल 500 और 1000 के नोट। गृहणियां भी घर के कोनों में तलाश रहीं हैं जमा किए पुराने नोट। फोटो : प्रतीकात्मक

भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार 7.85 लाख करोड़ रुपए के 500 के नोट और 6.33 लाख करोड़ के 1000 के नोट 9 सितम्बर की आधी रात से बंद हो गए। ये कुल मिलाकर करीब 14 लाख करोड़ रुपए हुआ, जो कि भारत में मौजूद कैश राशि का 86 फीसदी है।

भारतीय सरकार के इस कड़े रुख का कालेधन पर तीन तरह से बुरा असर पड़ेगा:

1- अचानक सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का सबसे ज्यादा असर काले धन की जमाखोरी करने वाले लोगों पर पड़ेगा। उनके पास दो विकल्प बचेंगे; या तो बैंकों में पैसा जमा करके अपनी पहचान करवा दें या फिर 24 नवंबर 2016 से पहले पैसे बदलवा लें।

पैसे बदलवाने के लिए जो नियम रखे गए हैं उन के अनुसार आसान गणित से पता चलता है कि 4000 रुपए प्रतिदिन की सीमा के साथ 24 नवंबर तक केवल 60,000 रुपए ही बदले जा सकते हैं। नवंबर 24 के बाद राशि बदलने की सीमा बढ़ा दी जाएगी। हालांकि इस पूरे समय में पैसा जमा कराने की कोई सीमा नहीं है।

2- इस फैसले का असर उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावों पर भी पड़ेगा। नोट के बदले वोट मांगने का सिलसिला थमेगा।

वित्त मंत्रालय के अनुसार साल 2011 से 2016 के दौरान भारत में नोटों की संख्या में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 500 के नोटों में यह वृद्धि 76 फीसदी और 1000 के नोट की वृद्धि 109 प्रतिशत थी।

अब 500 और 1000 के नए नोट 10 नवंबर 2016 से वितरण के लिए उपलब्ध होंगे। इनके वितरण पर रिज़र्व बैंक पूरी तरह नज़र रखेगा।

3- सितम्बर 30, 2016 को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से छिपाई गई रकम को डिक्लेयर करने का समय खत्म हो गया था, लेकिन अब जिन्होंने उस दौरान भी अपना पैसा छुपाया उनके लिए अब मुश्किल खड़ी होगी।

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