नोटबैन से विकास दर में पिछड़ जाएगा भारत, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जीडीपी अनुमान एक फीसदी घटाया

Update: 2017-01-17 13:15 GMT
गन्ना चीन मिल भेजने की तैयारी करते किसान।

वाशिंगटन (भाषा)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष में देश के विकास दर अनुमान में एक फीसदी की कटौती की है, जिसका मुख्य कारण नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर पड़े बुरे असर को बताया गया है।

आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। पहले उसने देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। आईएमएफ ने नोटबंदी के बाद उपभोग के मोर्चे पर अस्थायी झटके के मद्देनजर वृद्धि दर के अनुमान को कम किया हैं। इससे पहले विश्व बैंक ने भारत की वृद्धि दर के अनुमान को कम किया था।

आईएमएफ ने जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य अपडेट में कहा है, ‘‘भारत के लिए चालू वित्त वर्ष के वृद्धि दर के अनुमान को एक प्रतिशत घटाया गया हैं वहीं अगले साल के लिए इसमें 0.4 प्रतिशत की कटौती की गई है। नोटबंदी के बाद नकदी की कमी की वजह से खपत के मोर्चे पर जो अस्थायी झटका लगा है उसके मद्देनजर वृद्धि दर के अनुमान को कम किया गया है।''

आईएमएफ ने कहा कि 2016 में सुस्ती के बाद 2017 और 2018 में आर्थिक गतिविधियां विशेष रूप से उभरते बाजारों तथा विकासशील देशों में रफ्तार पकड़ेंगी।'

विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं दोनों में 2017-18 में वृद्धि दर क्रमश: 3.4 और 3.6 प्रतिशत रहेगी, जो अक्तूबर में लगाए गए अनुमान के समान ही है।

आईएमएफ के नए अनुमान के अनुसार भारत की वृद्धि दर 2016 में अब 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहले इसके 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। अगले साल यानी 2017 में आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो पहले 7.6 प्रतिशत था।

इसमें कहा गया है कि 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्व में लगाए गए 7.7 प्रतिशत के अनुमान पर पहुंचेगी। इससे पहले विश्व बैंक ने 2016-17 में भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर सात प्रतिशत किया था। पहले विश्व बैंक ने वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

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