मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं को वापस लेने के बाद ही लागू हो सकती है यूबीआई: सुब्रममणियम

Update: 2017-02-25 15:47 GMT
अरविंद सुब्रमणियम, मुख्य आर्थिक सलाहकार।

अहमदाबाद (भाषा)। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि वर्तमान में चल रही सभी कल्याणकारी योजनाओं को वापस लिये जाने के बाद ही सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) योजना को लागू किया जा सकता है। हालिया, आर्थिक समीक्षा में इस योजना के बारे में सुझाव दिया गया है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के विद्यार्थियों को कल यहां संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा कि यूबीआई को लागू करने की लागत इतनी ज्यादा होगी कि इसे पहले से चल रहे कार्यक्रमों के साथ लागू नहीं किया जा सकता है। सरकार इस अतिरिक्त बोझ को नहीं उठा सकेगी।

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उन्होंने कहा कि यूबीआई योजना के पीछे मकसद गरीबों का उत्थान है। सरकार समाज कल्याण के कार्यक्रमों पर पहले ही काफी पैसा खर्च करती है, लेकिन यह लक्षित समूह तक नहीं पहुंच पाता है।

सुब्रमणियम ने कहा कि सरकार के लक्षित वर्ग तक पहुंचने की समस्या का निदान इस नई योजना से हो सकता है। यूबीआई इस समस्या के निदान का बेहतर तरीका हो सकता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि देश में किसी नए कार्यक्रम को लागू करना काफी आसान हो सकता है लेकिन पहले से चल रहे कार्यक्रमों को वापस लेना कठिन है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सुझाव दिया कि गरीबों के उत्थान और उन्हें मूलभूत आय उपलब्ध कराये जाने के लिये यूबीआई के नये विचार को काफी सराहा गया है लेकिन इसे इस तरह से लागू किया जाना होगा कि यह वहनीय बन सके। उन्होंने कहा कि लोगों को पहले से यदि कुछ मिल रहा है तो उसे वापस लेने पर काफी होहल्ला हो सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण में सुब्रमणियम के इस प्रस्ताव को लेकर काफी चर्चा हुई थी कि क्या सरकार इसे लागू करेगी।

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