''महिलाओं के खिलाफ अपराध से पहले हर अपराधी संकेत देता है''
उत्तर प्रदेश में हर घंटे 6 महिलाएं होती हैं हिंसा की शिकार, देश भर में यूपी में दर्ज होते हैं महिलाओं पर हिंसा के सबसे अधिक मामले
लखनऊ। देश में महिलाओं के प्रति बढ़ती वीभत्स घटनाओं और हाल में उन्नाव और हैदराबाद में रेप के बाद हत्या की वारदात के बाद लोगों में जबरदस्त गुस्सा है, लेकिन मनोचिकित्सक मानते हैं कि हर अपराधी संकेत देता है, अगर उन संकेतों को नजरअंदाज न किया जाए तो ऐसी घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में हर चौथे घंटे एक महिला के साथ रेप या हिंसा की वारदात होती है, जो देश में सबसे अधिक है। देशभर में अपराधों को दर्ज़ करने वाली संस्था राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में कुल 3.59 लाख महिलाओं पर हिंसा के मामले हुए। इनमे सबसे अधिक 56011 मामले अकेले यूपी के हैं।
यह संख्या तो उन मामलों की है जो थानों में दर्ज़ होते हैं, उन मामलों की संख्या कहीं ज्यादा होगी जो लोकलाज के डर से या दहशत में थानों तक पहुंच ही नहीं पाते।
बलात्कार की घटनाओं पर रोक न लग पाने और उसके बाद पुलिस और न्याय व्यवस्था की सुस्ती का शिकार होने वाली पीड़िताओं की मनोदशा के बारे में मनोचिकित्सक शाज़िया सिद्दीकी कहती हैं, "जो लोग ऐसी घटनाओं में लिप्त होते हैं, वो बचपन से ही क्राइम की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसा करने में उन्हें 'पॉवर' महसूस होता है। ऐसे लोग सिर्फ अपनी जरूरत पूरी करने के लिए ऐसा करते हैं, उन्हें अंजाम का डर ही नहीं होता।"
डॉ. सिद्दीकी आगे कहती हैं, "हर अपराधी संकेत देता है, लेकिन समाज और परिवार के लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।"
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हैदराबाद में महिला डॉक्टर की गैंगरेप के बाद हत्या इसी का परिणाम थी। अपराधियों ने सिर्फ अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए घटना को अंजाम दिया। "इसके लिए आज सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है। सस्ते इंटरनेट और मोबाइल तक आसानी से पहुंच, उसके बाद पोर्न साइट्स आदि को धड़ल्ले से देखना भी एक बड़ा कारण है।"
डॉ. शाजिया कहती हैं, "इतना सर्व सुलभ खुलापन मिलने के बाद जो युवाओं में सेक्स को लेकर तीव्र इच्छा पैदा होती है, जिसके बाद वो अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा करने के लिए एक आसान लक्ष्य तलाशते हैं और वारदात को अंजाम देते हैं।"
युवाओं में प्यार को लेकर हताशा और कुंठा भी एक बड़ा कारण होती है कि ऐसी घटनाएं थम नहीं रहीं, जैसा कि उन्नाव में हुआ। पीड़िता के पिता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "पहले लड़के ने कागज में लिखा-पढ़ी कर शादी की, लेकिन बाद में मुख्य आरोपी के घरवालों को जाति की वजह से शादी मंजूर नहीं थी, और मुकर गए। जिसके बाद मुकदमें बाजी शुरू हुई और मेरी बेटी को ज़िंदा जला दिया।"
एनसीआरबी की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार जितने भी बलात्कार के मामले दर्ज किए गए उनमें से 93.1% मामलों में पीड़िता के जानने वाले थे, जिन्हें पीड़िता की हर हरकत पर नजर होती है। ऐसे लोगों के लिए आसान होता है अपने किसी परिचित को टार्गेट बनाना।
प्यार में कुंठा और हताशा के बाद महिला के साथ ऐसी वारदात करने वाले अपराधियों के बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ. शाजिया सिद्दीकी बताती हैं-
"जब दो लोग प्यार में होते हैं तो एक दूसरे के प्रति लगाव काफी होता है, वहीं जब दूर होते हैं तो वो हद से अधिक बदला लेने की ओर बढ़ जाते हैं। आरोपी सोचता है कि वो हमारे से ऐसा कैसे कर सकती है? उसे लाचारी महसूस होती है और वो बदला लेने की ओर बढ़ते चले जाते हैं।"
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डॉ. शाजिया आगे कहती है, "ऐसा हर शातिर अपराधी कोई न कोई अपराध का संकेत जरूर देता है, लेकिन लड़कियां डर या लोकलाज के डर से घर में नहीं बतातीं। उन्हें डर होता है कि परिवारवाले उनकी नहीं सुनेंगे, और चुप करा देंगे। परिवारवालों को ऐसी घटनाओं का शुरुआत में ही विरोध करना चाहिए। इन संकेतों को नज़रअंदाज करने से उन्नाव और हैदराबाद जैसी बड़ी घटनाएं घटित होती हैं।"
उन्नाव बलात्कार और हत्याकांड में भी यही हुआ, आरोपी और उनके परिवारवाले पीड़िता के घरवालों को मुकदमा वापस न लेने पर अंजाम भुगतने चेतावनी देते थे। अगर इन चेतावनियों पर पीड़िता का परिवार और पुलिस तुरंत कार्रवाई करती तो शायद आज जिंदा होती।
ऐसी बर्बर घटनाओं को रोकने के लिए मनोचिकित्सक डॉ. शाजिया सिद्दीकी कहती हैं, "सबसे पहले लड़कों को घर में ही महिलाओं की इज्जत करना सिखाना होगा, लेकिन घरों में ही भेदभाव और महिलाओं के प्रति निरादर शुरुआत से ही देखते हैं, जो उनके अंदर घर करता हुआ चला जाता है," आगे कहती हैं, "लड़के घरों में ऐसा न करके अपने को ताकतवर महससू करते हैं, जो आगे ऐसी घटनाओं को जन्म देता है।"